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अपराध

कम उम्र के बच्चों के भीतर हिंसा, बिगड़ रहे सामाजिक सोच का ताना-बाना आपको हताश नहीं करती

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मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट

पिछले कुछ समय से बच्चों के भीतर बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति को लेकर लगातार चिंता जताई जा रही है। ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें कम उम्र के बच्चे भी अपने सहपाठियों और यहां तक कि शिक्षकों पर जानलेवा हमला कर दे रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के नोएडा में दो नाबालिग लड़कों ने जिस तरह एक स्कूल के अध्यापक को गोली मार दी, उससे यही पता चलता है कि समाज और व्यवस्था के स्तर पर एक गंभीर विकृति अपने पांव जमा रही है।

नोएडा के स्कूल में हुई घटना में शिक्षक की जान बच गई

खबरों के मुताबिक साकीपुर गांव में स्कूल से थोड़ी दूर पर हुई घटना में गनीमत बस यह रही किसी तरह शिक्षक की जान बच गई। वरना हमले की प्रकृति को देखते हुए कहा जा सकता है कि आरोपी छात्रों का मकसद शिक्षक की हत्या करना रहा होगा!

सवाल है कि इतने उम्र में बच्चे किसी मामूली बात पर हत्या करने जैसे अपराध करने पर क्यों उतर जा रहे हैं! 

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इस घटना को कुछ बिगड़े हुए नाबालिग बच्चों की करतूत मान कर गुजर जाने दिया जा सकता है, मगर नाबालिग और कम उम्र के बच्चों के भीतर आक्रामकता और हिंसा के सहारे अपनी मंशा पूरी करने की बढ़ती प्रवृत्ति न सिर्फ ऐसे बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर रही है, बल्कि यह समाज और सरकार के लिए भी चिंतित होने का विषय है।

अव्वल तो शिक्षक पर हमला करने वाले नाबालिग छात्रों के भीतर एक जघन्य स्तर के अपराध को अंजाम देने की बात क्यों आई! फिर इतनी कम उम्र के बच्चों के पास बंदूक जैसा जानलेवा हथियार कहां से आया? 

जाहिर है, हमलावर बच्चे ऐसे लोगों के दायरे या संपर्क में अपना वक्त गुजार रहे होंगे, जिनके लिए अपराध एक सामान्य बात है। ऐसे बच्चों के अभिभावकों और उन्हें जानने वाले आस-पड़ोस के लोगों के लिए बच्चों की रोजमर्रा की संगति और गतिविधियां अनदेखी करने लायक क्यों होनी चाहिए?

इसके अलावा, कानून-व्यवस्था का आलम ऐसा क्यों है कि किसी पर जानलेवा हमला करने वाले लोगों या बच्चों के भीतर पुलिस की कार्रवाई का खौफ काम नहीं करता?

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अगर समाज के ढांचे में पलती विकृतियों और बच्चों के भीतर बढ़ती आपराधिक हिंसक प्रवृत्ति को लेकर सरकार और आम लोग गंभीर नहीं हुए तो इस तरह के बच्चों की जिंदगी की दिशा सबके लिए जटिल हालात पैदा कर दे सकती है। 

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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