वर्ष 2006 से सक्रिय कुख्यात अपराधी विनोद गडरिया बुलंदशहर में एसटीएफ मुठभेड़ में मारा गया। घरेलू विवाद से शुरू हुई उसकी अपराध यात्रा कई हत्याओं, डकैतियों और लूट की घटनाओं तक पहुंची। पढ़ें उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि और अंतिम मुठभेड़ की पूरी कहानी।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
शामली का खूंखार अपराधी विनोद गडरिया, आखिरकार एसटीएफ की गोली का शिकार बन गया।
बुलंदशहर में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) नोएडा यूनिट और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में एक लाख के इनामी अपराधी विनोद गडरिया को मुठभेड़ में मार गिराया गया। वह पिछले दो दशकों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बन चुका था।
घरेलू विवाद से अपराध की राह तक
वर्ष 2006 में पत्नी की हत्या से विनोद ने अपने अपराध की शुरुआत की थी। इसके बाद वह फरार हो गया और लूट, डकैती जैसी संगीन वारदातों में लिप्त हो गया। फरारी के दौरान उसकी मुलाकात कुख्यात अपराधियों जैसे मुनव्वर उर्फ मन्ना, सादाब सरधना और फुरकान से हुई। फिर, वह एक संगठित गैंग बनाकर घरों में घुसकर बंधक बनाकर डकैती डालने लगा।
आतंक का पर्याय बना विनोद गैंग
विनोद का गिरोह विशेष तौर पर ग्रामीण और सुनसान इलाकों के मकानों को निशाना बनाता था। वह न केवल लूटपाट करता था, बल्कि घर के सदस्यों के साथ बर्बरता से मारपीट भी करता था। अकेले मुजफ्फरनगर में उसके खिलाफ 28 केस दर्ज हैं, जबकि शामली में 8, हरिद्वार में 2, बागपत और बुलंदशहर में एक-एक मामले दर्ज हैं।
इनामी अपराधी की तलाश में लगी थी कई टीमें
मार्च 2025 में मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक ने विनोद की गिरफ्तारी पर ₹1 लाख का इनाम घोषित किया था। अप्रैल में उसके साथी संदीप पर ₹50 हजार और उसके गैंग के 12 अन्य सदस्यों पर ₹25-25 हजार का इनाम रखा गया था। कई बार मुठभेड़ों में उसके साथी मारे गए या पकड़े गए, लेकिन विनोद हर बार पुलिस को चकमा देकर फरार हो जाता था।
अंतिम मुठभेड़ की पूरी कहानी
21 जून 2025 को बुलंदशहर में अनूपशहर मार्ग पर एसटीएफ ने चेकिंग अभियान चलाया। इसी दौरान दो संदिग्ध बाइक सवारों ने फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में विनोद गोली लगने से घायल हो गया। अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। वहीं, उसका एक साथी मौके से फरार हो गया, जिसकी तलाश जारी है। इस मुठभेड़ में एसटीएफ के उपनिरीक्षक केशव शांडिल्य की बुलेटप्रूफ जैकेट पर गोली लगी, जबकि दो कांस्टेबल सुमित और अनुज घायल हुए।
विनोद गडरिया की प्रमुख आपराधिक घटनाएं
2006: मुजफ्फरनगर के रतनपुरी में बस परिचालक से पैसों का थैला लूट।
2006: बुढ़ाना क्षेत्र में डकैती के दौरान किरायेदार राजकुमार की हत्या।
2011: शामली में विद्युत उपकेंद्र से 100 किलो तांबा चोरी।
2012: शामली और रतनपुरी में डकैती के दौरान जेवर और नकदी की लूट।
2024-25: कई घरों में गन प्वाइंट पर डकैती की वारदातें।
विनोद गडरिया जैसे अपराधियों का अंत देर से ही सही, पर होता जरूर है। एसटीएफ की लगातार कोशिशों और साहसिक कार्रवाई के चलते एक लंबे समय से फरार इनामी अपराधी को उसके अंजाम तक पहुंचाया गया। यह मुठभेड़ पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, और समाज के लिए राहत की खबर भी।