google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
खास खबर

हिट एंड रन ; हड़ताल पर चल रहे ड्राइवरों की बातों से आप सहमत हैं तो इन आंकड़ों को जान लीजिए फिर निर्णय लीजिए

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में सड़क दुर्घटनाओं के लिए सजा के प्रावधान के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों में रोष है। देशभर के ट्रक ड्राइवर बीएनएस की धारा 104 को वापस लेने की मांग करते हुए हड़ताल पर चले गए थे। उनकी चिंता यह है कि सड़क हादसे के लिए 10 साल जेल की सजा का प्रावधान बहुत कठोर है जो ड्राइवरों की जिंदगी और उनका परिवार तबाह कर देगा। हालांकि, सच्चाई कुछ और है। नया कानून कहता है कि अगर कोई ड्राइवर किसी को ठोकर मारकर भाग जाता है और वह घटना की रिपोर्टिंग नहीं करता है तब उसे 10 साल की सजा हो सकती है। 

अगर वह पुलिस को घटना की जानकारी खुद दे दे तो उसे 5 साल तक की सजा ही हो सकती है जिसका प्रावधान मौजूदा कानून में भी है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर अगर नए कानून के प्रावधान को परखें तो क्या आप कहेंगे कि यह गलत है?

पहले आंकड़े देखिए, फिर सोचिए

आइए, आपको इस सवाल का जवाब ढूंढने में थोड़ी और मदद करते हैं। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में दिल्ली में सड़क हादसों से जितनी मौतें हुईं, उनमें 47% यानी करीब आधे मामलों में पता ही नहीं चल पाया है कि आखिर टक्कर किसने मारी? इसे ही हिट एंड रन केस कहते हैं- मारो और निकल लो। 

सोचिए, अगर ड्राइवर की जिंदगी और उसका परिवार है तो क्या हादसे में जान गंवाने वालों की जिंदगी और परिवार का कोई महत्व नहीं? कानून सिर्फ यही कहता है कि अगर हादसा हो गया है तो इसकी जानकारी पुलिस को दें ताकि पीड़ित को जान बचाने की कोशिश की जा सके। अगर ऐसा हुआ तो निश्चित रूप से सड़क हादसों में मौतों की संख्या बहुत हद तक नीचे आ सकती है। तब कई जिंदगियां बच सकती हैं, कई परिवार एक झटके के बाद दोबारा उबर सकता है।

इसे भी पढें  बहन की डोली से पहले उठी भाई की अर्थी ; ऐसे कई अंतहीन दर्द दे गया यह अग्निकांड

दिल्ली: सड़क हादसों में 47% मौतें हिट एंड रन से!

आइए सड़क हादसों में मौतों पर थोड़ा विस्तार से बात करते हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो 2002 में राजधानी दिल्ली में लगभग सड़क हादसों में होने वाली आधी मौतों की वजह ऐसे वाहन होते हैं जिनका कभी पता ही नहीं चल पाता है।

पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में दिल्ली में सड़क हादसों में हुई मौतों में से 47% अज्ञात वाहनों के कारण हुई थी। वहीं, कार या टैक्सी से 14% जबकि भारी वाहनों से हादसों में 12% मौतें हुई हैं। 

अज्ञात वाहनों ने उस साल 668 लोगों की जान ली और लगभग 1,104 को घायल कर दिया। 2023 के आंकड़े अभी तक प्रकाशित नहीं हुए हैं, लेकिन माना जाता है कि वे लगभग समान स्तर पर हैं।

देश की स्थिति भी जान लीजिए

अब जरा पूरे देश का हाल देख लें। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2022 में सभी सड़क हादसों में टक्कर मारकर भागने के मामले करीब 15% थे। यानी हर 100 दुर्घटनाओं में से 15 में टक्कर मारने वाले वाहन का पता ही नहीं चला। हिट एंड रन केस में मौतों की बात करें तो यह आंकड़ा 18% है। आइए कुछ ऐसे सवालों के जवाब भी जान लें जो आपके मन में भी उठ सकते हैं।

क्या सड़क हादसों का ये सबसे बड़ा कारण है?

नहीं, भारत में सड़क हादसों के कई कारण होते हैं.। सामने से टक्कर, पीछे से टक्कर, साइड से टक्कर, ओवरस्पीडिंग, नशे में गाड़ी चलाना- ये सब भी बड़े कारण हैं। टक्कर मारकर भागना सड़क हादसों का पांचवां सबसे बड़ा कारण है और मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।

लेकिन सड़क पर सबसे ज्यादा आतंक कौन फैलता है?

आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा डर ट्रक-लॉरी से लगाता है। हकीकत भी यही है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा दोपहिया वाहन शामिल होते हैं। सबसे ज्यादा टक्कर दोपहिया वाहनों में ही होती है। ट्रक-लॉरी के ज्यादातर शिकार दोपहिया वाहन ही होते हैं।

इसे भी पढें  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के निधन पर शोक सभा हुई आयोजित

क्या टक्कर मारकर भागने वालों को सजा नहीं मिलती?

अगर मामला अदालत तक पहुंचे तो मिलती है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि हिट एंड रन केस में जो ट्रायल पूरा हो जाते हैं, उनमें करीब 47.9% में सजा होती है। ये दर दूसरी दुर्घटनाओं से काफी ज्यादा है। हत्या और गैर-इरादतन हत्या जैसे गंभीर मामलों में सजा की दर क्रमशः 44% और 39% ही है। हालांकि ये भी जानना जरूरी है कि हिट एंड रन के 90% से ज्यादा केस सालभर तक कोर्ट में ही पेंडिंग रह जाते हैं। यही स्थिति दूसरे गंभीर अपराधों की भी है।

लेकिन टक्कर मारकर भागने के मामलों में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने में क्यों ज्यादा दिक्कत होती है?

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2022 में हिट एंड रन को जो मामले पुलिस ने सुलझाए, उनमें से सिर्फ 66.4% में चार्जशीट दाखिल हो पाई। ये दर हत्या के मामलों में 81.5%, गैर-इरादतन हत्या में 84% और दूसरी दुर्घटनाओं में 79.6% से कम है। 

टक्कर मारकर भागने के मामलों में चार्जशीट ना बनने का सबसे बड़ा कारण सबूत ना मिलना है। पुलिस को भले ही लगे कि मामला सही है, लेकिन अगर सबूत ना हों तो वो चार्जशीट नहीं दाखिल कर सकती। 2022 में ऐसे मामलों का प्रतिशत 28% था, जो दूसरी दुर्घटनाओं के मुकाबले काफी ज्यादा है।

हिट एंड रन केस का पता लगाना बड़ी चुनौती

इसका मतलब ये हुआ कि टक्कर मारकर भागने वाले को पकड़ पाना, सबूत जुटाना और चार्जशीट बनाना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है। यही एक बड़ा कारण है जिसके चलते सरकार ने नया कानून बनाने का फैसला किया है। 

पुलिस का कहना है कि नंबर प्लेट खराब या धुंधला हो तो वाहन का पता लगाना भी मुश्किल हो जाता है। ऊपर से प्रत्यक्षदर्शी भी पुलिस को जानकारी देने से हिचकते हैं। वैसे भी, हिट एंड रन के ज्यादातर मामले रात में होते हैं जब प्रत्यक्षदर्शी कम ही होते हैं। सड़कों पर सीसीटीवी कैमरों की कमी से जांच और भी मुश्किल हो जाती है।

इसे भी पढें  'किसी और का बच्चा ऐसे दुनिया ना छोड़े', 14 साल के मासूम की दर्दनाक मौत आपको रुला देगी..…

पुलिस की भारी कमी, फिर सही जांच कैसे हो?

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले रही भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में हादसे के बाद भाग खड़े होने वाले ड्राइवरों को 10 साल तक की जेल और 7 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। 

हालांकि, दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन के अध्यक्ष डॉ. रोहित बाजलुजा का मानना है कि इस कानून को पूरी तरह लागू करना मुश्किल होगा। उनका कहना है कि ‘बिना उचित तैयारी और साधनों के कानून बनाना खतरनाक है। यह किसी को हथियार देकर उसे अपनी मर्जी से इस्तेमाल करने की इजाजत देने जैसा है।’ वे आगे कहते हैं, ‘दिल्ली में ही लगभग 80 हजार पुलिसकर्मी हैं, जिनमें से 5,000 ट्रैफिक पुलिस में हैं। अब इतने कम पुलिसकर्मियों से इतने सारे वाहनों और इतने बड़े क्षेत्र पर निगरानी रखना और सभी कानून तोड़ने वालों पर कार्रवाई करना लगभग असंभव है।’

नए कानून से चीजें सुधरने के आसार

लेकिन, सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ प्रिंस सिंघल का मानना है कि यह नया कानून सड़क सुरक्षा में बड़ा बदलाव लाएगा। वे कहते हैं, ‘मैं पिछले बीस साल से सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर रहा हूं और मेरा मानना है कि यह नया कानून सड़क सुरक्षा की चिंताओं को कई तरह से प्रभावित करेगा।’ 

सिंघल के अनुसार, यह कानून चालकों पर सुरक्षा का अधिक दबाव डालेगा। वो कहते हैं, ‘इसके चलते निजी कंपनियां ज्यादा प्रशिक्षित और लाइसेंसधारी चालकों को काम पर रखेंगी और उनके लिए रिफ्रेशर कोर्स और स्वास्थ्य जांच की भी व्यवस्था करेंगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब चालक पीड़ित को सड़क पर नहीं छोड़ेंगे क्योंकि अगर वे हादसे की सूचना देते हैं तो उन्हें कम सजा हो सकती है।’

87 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close