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देवरिया

सामुहिक हत्याकांड की चर्चा फिर जोरों पर ; कोर्ट के फैसले पर हो रहा है तर्क वितर्क

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट 

देवरिया: देवरिया में जिस विवादित जमीन को लेकर सामुहिक हत्याकांड हुआ था। जमीन के मुकदमे में तहसीलदार कोर्ट ने वादी और आपत्तिकर्ता समेत 6 लोगों की हत्या के बाद अपना फैसला सुना दिया है। 2014 में दाखिल हुए मुकदमे में भाटपार रानी के तहसीलदार ने मृतक प्रेमचंद यादव के पक्ष में फैसला देते हुए विवादित जमीन को उनके वारिसों का नाम दर्ज करने का निर्देश दिया है। इस फैसले के बाद यह कांड फिर चर्चा में आ गया है। हालांकि कानून के जानकार इस फैसले को गलत बता कर कई तरह के सवाल खड़ा कर रहे हैं।

देवरिया जिले के रूद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के फतेहपुर गांव निवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव ने साल 2014 में गांव के ही ज्ञान प्रकाश दुबे उर्फ साधु दुबे से 9 बीघा जमीन औने पौने दाम पर बैनामा करा लिया था। इसमें 3 बीघा जमीन भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के केहुनियां गांव में है। बाकी रूद्रपुर तहसील क्षेत्र के फतेहपुर गांव में है। साधु दुबे की शादी नहीं हुई थी। ऐसे में उनके भाई सत्य प्रकाश दुबे ने दोनों तहसीलों में बैनामा के खिलाफ आपत्ति दाखिल कर दी। आपत्ति के जवाब में प्रेमचंद यादव ने नामांतरण का वाद दाखिल किया। 2014 से यह मुकदमा तहसील में चल रहा था।
सत्य प्रकाश दुबे ने आपत्ति में दर्शाया था कि ज्ञान प्रकाश दुबे उनके सगे भाई हैं। वह मंद बुद्धि है, उनकी शादी भी नहीं हुई है। इसका फायदा उठा कर प्रेम प्रकाश और उनके भाई ने उन्हें बहला फुसला कर रुद्रपुर और भाटपाररानी तहसील में स्थित पैतृक जमीनों का बिना रुपये दिए बैनामा करा लिया है।
यही नहीं बैनामा दस्तावेज में सत्यप्रकाश के हिस्से की जमीन भी लिखवा ली है। सत्यप्रकाश द्वारा दाखिल की गई आपत्ति पर पिछले 9 सालों से सुनवाई चल रही थी। इसी बीच दो अक्टूबर को विवाद में प्रेमचंद यादव और सत्यप्रकाश दूबे समेत 6 लोगों की हत्या हो गई।

सामुहिक नरसंहार का मामला धीरे-धीरे ठंडा हो रहा था, कि पिछले सप्ताह भाटपार रानी के तहसीलदार चंद्रशेखर वर्मा ने विवादित जमीन के मामले में अपना फैसला सुना दिया। हत्या के कुछ ही दिनों बाद तहसीलदार ने अपने आदेश में मृतक प्रेमचंद यादव के पक्ष में फैसला दिया। साथ ही राजस्व निरीक्षक को विवादित जमीन पर उनके वारिसों का नाम दर्ज करने का निर्देश दिया हैं। हालांकि कानून के जानकार तहसीलदार के फैसले को गलत बता रहे हैं।

2 अक्टूबर को हुआ था हत्याकांड

विवादित जमीन के मुकदमे में बीते 4 अक्टूबर को तारीख थी। 2 अक्टूबर को सुबह लगभग 6 बजे प्रेमचंद यादव सत्य प्रकाश दुबे के घर मुकदमा सुलह का दबाव बनाने गए थे। जहां प्रेमचंद यादव की हत्या हो गई, उनकी हत्या की खबर सुनकर भारी भीड़ दूबे के घर पहुंच गई। प्रेमचंद का शव देख भीड़ उग्र हो गई। उग्र भीड़ ने इसके प्रतिशोध में सत्य प्रकाश दुबे, उनकी पत्नी किरण, बेटी सलोनी और नंदनी और बेटा दीपेश उर्फ गांधी की बड़ी बेरहमी से हत्या कर डाली। भीड़ के हमले से गंभीर रूप से घायल दूबे के एक बेटे अनमोल का गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है।

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बड़े बेटे की बच गई जान

हमले के दौरान दूबे का बड़ा बेटा देवेश बाहर गया था, जिससे उसकी जान बच गई। इस मामले में दोनों पक्षों से 33 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। इसमें 21 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की चार टीमें गठित की गई है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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