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एक जमाना था जब इस बाहुबलि के आतंक से थर-थर कांपते थे लोग, आज इनकी हालत पर आती है तरस

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट 

एक वक्त था जब यूपी और बिहार में बाहुबलियों की ‘सरकार’ थी. अपराध और राजनीति के गंदे गठजोड़ के पीछे इनके काले कारनामों को सफेद किया जाता था. लोग इनके नाम से थर-थर कांपते थे. इनके आपराधिक मंसूबे का शिकार बनने के बावजूद इनके खिलाफ गवाही देने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते थे.

लेकिन आज इन माफियाओं और गुंडों की हालत बद से बदतर हो गई है. इनमें से कई जेल की सलाखों के पीछे रहते हुए अपना दम तोड़ चुके हैं, तो कई अपने गुनाहों के शिकार हो चुके हैं. जो बचे हैं वो आज भी जेल की चारदीवारी के अंदर तड़प रहे हैं. उनको न ठीक से खाने को मिल रहा है, न चैन से सोने को नसीब हो रहा है. यहां तक कि बीमार होने के बाद भी वो जैसा इलाज चाह रहे हैं, वो नहीं हो पा रहा है. क्योंकि जेल प्रशासन अपने मैन्यूल के हिसाब से सुविधाएं प्रदान करता है. 

”मी लॉर्ड! मैं बहुत ज्यादा बीमार हूं. मेरा सही से इलाज नहीं हो पा रहा है. मेरे समुचित इलाज का आदेश कर दिया जाए”…कभी पूर्वांचल में बाहुबल के पर्याय रहे माफिया मुख्तार अंसारी ने जज के सामने जब गिड़गिड़ाते हुए ये गुहार लगाई होगी तो वहां बैठे लोगों के जेहन में वो दृश्य कौंधने लगा होगा, जिसमें वो खुली जीप में हथियार लहराते हुए, अपनी मूंछों पर ताव देते हुए लोगों से मुखातिब हो रहा था. लोगों के दिलों में डर पैदा करके उसने वो हर काम किया, जिसे कानून की किताब में जुर्म माना गया है. वो जिसे जब चाहता घर से उठवा लेता, उसे अपनी बातें मानने के लिए मजबूर करता. मछली अच्छी लगती थी तो जेल में ही तालाब खुदवा दिया. लेकिन आज स्थिति बहुत खराब है. लोगों के मन से उसका डर दूर हो गया है. उसकी धमकी के बावजूद हर मामले में लोग उसके खिलाफ गवाही दे रहे हैं.

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…जब फल और कुरकुरे के लिए गिड़गिड़ाने लगा डॉन!

इसके पहले भी कई बार माफिया मुख्तार अंसारी जज के सामने गिड़गिड़ा चुका है. एक बार तो जेल के खाने से परेशान होकर उसने एमपी-एमएलए कोर्ट में अपने पसंदीदा खानों की मांग कर दी. उसने जज कमल कांत श्रीवास्तव के सामने गुहार लगाई कि वो जेल के खाने से ऊब चुका है. उसे खाने पीने का सामान, फल और कुरकुरे भिजवाया जाए. फल खाने की उसकी बेताबी तो पहले भी कई बार दिख चुकी है. एक बार इसी केस में सुनवाई के दौरान उसने जज से कहा कि साहब फल उपलब्ध करवा दीजिए. उसने कहा कि उसके वकील जब उससे मिलने जेल में आएं तो उनसे केला और लखनऊ के आम भेज दिया जाए. जज ने भी उसकी मांग पूरी कर दी. अगली सुनवाई से पहले ही उसके पास केला और आम भेज दिया गया था. इस बार इलाज की बात पर जज ने प्रार्थना पत्र मिलने के बाद देखने को कहा है.

…जब मछली खाने के लिए जेल में खुदवा दिया तालाब!

माफिया मुख्तार अंसारी हथियारों की तरह खाने-पीने का भी शौक रखता है. उसे नॉनवेज में मछली बहुत है. वो जब गाजीपुर जेल में बंद था, उस दौरान उसे ताजी मछली खाने में बहुत दिक्कत होती थी. वो जेल के सादे खाने खाकर तंग आ चुका था. इसलिए उसने जेल के अंदर ही एक तालाब खुदवा दिया. उसमें अपनी मनपसंद मछलियां पाली थीं. अब जब भी उसका मन होता, वो तालाब से मछली निकलवाकर बनवाता और खाता लेता. कहा जाता है कि उसकी फिश पार्टी में कई बड़े नेता और अफसर भी आते थे. जेल के अंदर सब लोग मिलकर जमकर जश्न मनाते थे. यूपी पुलिस में तत्कालीन आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) बृजलाल ने इस घटना की पुष्टि की थी. उन्होंने बताया था, “गाजीपुर जेल मुख्तार अंसारी का घर हुआ करती थी. हर शाम जेल के अंदर बाकायदा दरबार लगता था. बड़े-बड़े अधिकारी उसके साथ बैडमिंटन खेलने आते थे.” 

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…जब जेल में मुख्तार को मिलती थी फाइव स्टार सुविधाएं

साल 2017 से पहले मुख्तार देश के जिस भी जेल में रहा, उसे हमेशा फाइव स्टार सुविधाएं मिलती रहीं. जेल प्रशासन से लेकर पुलिस तक उसका नेटवर्क था. उसे सियासी सपोर्ट था. इसलिए उसके खिलाफ बोलने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पाता था. बांदा से पहले वो पंजाब के रोपड़ जेल में बंद था. वहां उसकी खूब आवाभगत हुई थी. वो साल 2019 से 2021 के बीच में वहां बंद था. उसे जेल में न सिर्फ विशेष सुविधाएं दी गईं, बल्कि जिस मामले में पंजाब पुलिस उसको ट्रांजिट रिमांड पर लाई थी, उसका चालान भी पेश नहीं किया गया था. यहां तक पंजाब पुलिस ने उसकी सुविधा के नाम पर 55 लाख रुपए खर्च कर दिए थे. ये सबकुछ कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यकाल में हुआ था. इसी बीच पंजाब में कांग्रेस की सरकार चली गई और यूपी सरकार की कोशिश की वजह से वो रोपड़ से बांदा जेल में शिफ्ट कर दिया गया.

…अब धमकी से न गवाह डरते हैं, न पहले जैसा रसूख रहा

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देखा जाए तो मुख्तार अंसारी का अब सबकुछ खत्म हो रहा है. बांदा जेल में बंद इस गैंगस्टर को अब अपना सबकुछ खत्म होता नजर आ रहा है. सरकार तो पहले से ही उनके पीछे हाथ धोकर पड़ी है. उनके विशाल साम्राज्य को खत्म करने में लगी है. लेकिन उनको सबसे ज्यादा ये बात चुभ रही है कि लोगों के बीच उनका डर खत्म हो रहा है. तभी तो बांदा जेल में बंद बाहुबली वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान भी काफी परेशान दिख रहा है. अपने गवाह को देखकर बार-बार पानी पी रहा है.

पिछले दिनों बाराबंकी के एमपी-एमएलए कोर्ट में फर्जी एंबुलेंस कांड में सुनवाई चल रही थी. इस दौरान केस के तीसरे अहम गवाह दारोगा सुरेंद्र सिंह गवाही देने के लिए कोर्ट में पहुंचे हुए थे. दारोगा सुरेंद्र सिंह को देखते ही मुख्तार अंसारी पसीने से तर-बतर हो गया. अपनी परेशानी को छुपाने के लिए बार-बार पानी पीता रहा.

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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