दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत नेमप्लेट लगाने का आदेश अब पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।
इससे पहले यह आदेश सिर्फ मुजफ्फरनगर तक सीमित था। इस आदेश पर एनडीए के कुछ सहयोगी दलों ने असहमति जताई है और इसे गलत बताया है।
जेडीयू के नेता केसी त्यागी और आरएलडी के नेता त्रिलोक त्यागी ने खुलकर इस फैसले का विरोध किया है।
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि इससे बड़ी कांवड़ यात्रा बिहार में निकलती है, लेकिन वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रतिबंध इसके खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि बिहार और झारखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भी इस तरह का आदेश नहीं है, इसलिए यूपी सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने भी योगी सरकार के इस कदम की आलोचना की है।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, चौधरी चरण सिंह और अन्य बड़े नेताओं ने हमेशा धर्म और जाति को अलग रखने की बात कही है, लेकिन आज के नेता इन्हें साथ लेकर चल रहे हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि किसी को अपनी दुकान पर नाम लिखने की क्या जरूरत है और इसे ग्राहकों पर छोड़ देना चाहिए कि उन्हें कहां से क्या खरीदना है।
त्रिलोक त्यागी ने यह भी कहा कि अगर मांसाहार करने से धर्म भ्रष्ट होता है, तो शराब पर भी प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जा रहा है।
उन्होंने शराब के बड़े नेक्सस की ओर इशारा करते हुए कहा कि गरीबों की दुकानों पर उंगली उठाना आसान है, लेकिन शराब पर बैन लगाने की हिम्मत किसी में नहीं है। उन्होंने मांग की कि शराब पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
इस प्रकार, यूपी सरकार के नए आदेश पर एनडीए के सहयोगी दलों की असहमति और आलोचना सामने आई है, जिसमें धर्म और जाति को साथ जोड़ने पर सवाल उठाए गए हैं।
Author: samachar
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