Explore

Search
Close this search box.

Search

November 22, 2024 2:54 am

लेटेस्ट न्यूज़

गंगा कछार में लाश ही लाश….कहां से आई, कैसे आई या यहीं कहीं दबी थी..…पता लगा रहा प्रशासन या होगी किरकिरी सरकार की ?

19 पाठकों ने अब तक पढा

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट 

प्रयागराज: प्रयागराज का फाफामऊ गंगा कछार को कौन भूल सकता है। गंगा कछार की रेती ने कोरोना काल में योगी सरकार की ऐसी किरकिरी कराई थी कि सरकार को जवाब नहीं देते बन रहा था।

एक बार फिर से फाफामऊ गंगा कछार चर्चा में आ गया है। इस बार भी मुद्दा वही है। रेती में दफन शव फिर से दिखने लगे हैं, लेकिन अब तो कोई कोरोना महामारी भी नहीं है, फिर ऐसे में इतने ज्यादा शव कहां से आ गए। ये शव तेज बारिश की वजह से ऊपर आ गए हैं।

रेत में दफन दर्जनों शवों का गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर में बहकर आगे जाने का खतरा बना हुआ है। संबंधित विभाग भले ही कार्रवाई की बात कर रहा है, लेकिन यहां की भयावह तस्वीरें कुछ और कहानी बयां कर रही हैं।

कोरोना काल में शवों को दफनाने पर रोक लगी थी, लेकिन करीब 7 महीने से शवों को फिर से दफन किया जाने लगा है। धीरे-धीरे 6-7 महीने के अंदर ही फाफामऊ में रेलवे और चंद्रशेखर आजाद पुल के बीच में ही लाशों को दफनाए जाने के निशान पुल से देखने पर ही मिल जाएंगे। अब पिछले 3-4 दिन से रुक-रुक कर बारिश हो रही है तो दफन शवों के कफन भी बाहर निकल आए हैं।

दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि कहीं 2020-21 का मंजर फिर से सामने न आ जाए। वहीं, आसपास के लोगों का कहना है कि फाफामऊ गंगा घाट पर प्रयागराज के सोरांव क्षेत्र के ही नहीं दूसरे जनपद प्रतापगढ़ से अंतिम संस्कार के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

ज्यादातर लोग लाश को जलाते ही हैं, लेकिन मृत बच्चों, अविवाहितों को दफनाने की परंपरा देखने को मिलती है। इसके अलावा गरीब परिवार वाले, जिनके पास लकड़ी खरीदने का पैसा नहीं होता वे भी लाश दफना देते हैं।

नगर निगम और जिला प्रशासन ने दफनाने पर लगी रोक को जनवरी माह से हटा ली थी। वैश्विक महामारी कोरोना के दूसरे चरण में इलाहाबाद हाई कोर्ट और एनजीटी के हस्तक्षेप पर नगर निगम और पुलिस ने घाटों पर बालू में शवों के दफनाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। कोई भी गंगा नदी की रेत में शव को दफन न करने पाए इसके लिए बकायदा पहरेदारी की जाती थी। साथ ही नगर निगम और जिला प्रशासन मृतक के ऐसे परिजनों को अंतिम संस्कार करने, शवों को जलाने की सुविधा देते थे, जिनके पास दाह संस्कार के लिए पैसे नहीं होते थे, लेकिन जनवरी 2023 के बाद से ऐसी कोई रोक-टोक और मिलने वाली सुविधा बंद हो गई है।

इस मामले में नगर निगम के अपर नगर आयुक्त अरविंद राय का कहना है कि कोविड काल के दौरान लाशों को दफनाए जाने से रोकने के लिए योजना बनी थी। लाश के अंतिम संस्कार के लिए पांच हजार रुपये दिए जाते थे।

अब नगर निगम उसी तरह से लाशों के अंतिम संस्कार करवा रहा है, जो दफन शव ऊपर आ रहे, उनको उचित तरीके से दाह संस्कार किया जा रहा है। निगरानी के लिए गार्ड और कर्मचारी लगाए गए हैं। फाफामऊ घाट की तरफ भी इलेक्ट्रिक शव दाह गृह बनाया जा रहा है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के सख्त आदेश हैं कि गंगा-यमुना या अन्य किसी नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए उसके किनारे शवों को दफनाया न जाए। इस पर रोक के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। इसके बाद भी प्रयागराज में एक बार फिर से बड़ी संख्या में शवों को गंगा किनारे फाफामऊ से लेकर श्रृंगवेरपुर और अरैल से लेकर छतनाग घाटों पर रोजाना कहीं न कहीं शव दफन किए जा रहे हैं।

बारिश शुरू होने पर जैसे ही गंगा का जलस्तर बढ़ेगा तो दफन सभी शव पानी के बहाव के साथ पवित्र गंगा नदी में मिल जाएंगे। इससे गंगा का जल प्रदूषित होगा।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़