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November 1, 2024 9:54 pm

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग उठाई तो विरोध में पार्टी से आई आवाज

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दुर्गाप्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

मेरठ: उत्तर प्रदेश को दो या तीन भागों में बांटने की बात तो लंबे समय से चल रही है। यूपी से उत्तराखंड को अलग किए जाने के बाद प्रदेश में बंटवारे की बात होती रही है। इस बीच केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने पश्चिम यूपी को अलग राज्य बनाने का मुद्दा छेड़ दिया है। दरअसल, डॉ. बालियान रविवार को मेरठ के सुभारती यूनिवर्सिटी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद सम्मेलन में भाग लेने आए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनना चाहिए। मेरठ नए राज्य की राजधानी बने। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की आबादी करीब 8 करोड़ है और हाई कोर्ट यहां से करीब 750 किलोमीटर दूर है। उन्होंने अलग राज्य की उठती मांग को इस आधार पर समर्थन दे दिया। इसके बाद पार्टी के भीतर ही इस पर राजनीति शुरू हो गई। मेरठ के सरधना से पूर्व विधायक संजीव सोम इस मामले में सामने आए। उन्होंने सीधे-सीधे सांसद को निशाने पर ले लिया। संगीत सोम ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर पश्चिमी यूपी राज्य बना तो यह मिनी पाकिस्तान हो जाएगा।

भाजपा के फायरब्रांड नेता संगीत सोम ने दावा किया कि नए बनने वाले राज्य में हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। उन्होंने क्षेत्र में लगातार बढ़ती एक वर्ग की आबादी का मुद्दा उठाया। इस संबंध में उन्होंने कहा कि इस नए बनने वाले राज्य की डेमोग्राफी ही बदल जाएगी। ऐसे में संगीत सोम ने अपनी ही पार्टी के सांसद और केंद्रीय मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब यह मुद्दा पश्चिम में गरमाने लगा है। केंद्रीय मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए संगीत सोम ने साफ कहा कि पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग बिल्कुल जायज नहीं है।

संगीत सोम ने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के बयान पर असहमति जताई। उन्होंने कहा कि मैं इसका खुलकर विरोध करता हूं। संगीत सोम ने कहा कि संजीव बालियान के बयान को पार्टी का बयान मानने से ही इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे पार्टी के प्रवक्ता नहीं हैं।

दिल्ली का बनाएं अंग

संगीत सोम ने इस मामले को अलग ही मोड़ दे दिया है। उन्होंने कहा कि अगर पश्चिमी यूपी को अलग ही करना है तो इसे दिल्ली से मिलाया जाए। संजीव बालियान अपने बयान को पार्टी में घिरते दिखने लगे हैं। पार्टी के नेताओं की ओर से उनसे सवाल किया जा रहा है। दरअसल, यूपी को पहले भी चार भाग में बांटने की मांग हुई थी। पूर्वांचल, पश्चिमांचल, बुंदेलखंड और अवध प्रदेश के रूप में यूपी का चार भाग करने की मांग होती रही है। वर्ष 2011 में मायावती की सरकार ने इस संबंध में विधानसभा में प्रस्ताव भी लाया था। हालांकि, बाद में यह मुद्दा कमजोर होता गया। भाजपा भी यूपी के बंटवारे के पक्ष में नहीं दिख रही है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."