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कानपुर

‘इस्लाम में लवजिहाद जैसा कोई शब्द नहीं’, कहते हुए मौलाना ने इसे प्रोपोगेंडा करार दिया, और पढ़िए क्या कहा इन्होंने 

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

कानपुर। यूपी में लगातार लवजिहाद के मामले सामने आ रहे हैं, जिसकी वजह से सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इसी बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि किसी भी इस्लामिक स्कॉलर से पूछ लीजिए कि लवजिहाद के नाम कोई जिहाद इस्लाम में नहीं है। ऐसा शब्द कुरान और धार्मिक किताबों में भी नहीं है। लव का नाम है मोहब्बत करना और जिहाद का नाम है, जालिम को ताकत से रोकने के लिए। ताकत का इस्तेमाल और प्यार दोनों एक जगह कैसे रह सकते हैं, यह प्रोपेगेंडा है। इस तरह के मामले दोनों तरफ से आ रहे हैं।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि किसी मुस्लिम युवती ने गैर मुस्लिम युवक से शादी कर ली, बात नहीं बनी तो उसके टुकड़े हो गए। उसे झील में डुबा दिया गया। ऐसा भी हुआ है कि किसी गैर मुस्लिम लड़की ने मुस्लिम युवक से शादी कर ली, रिश्ता नहीं बना तो यहां तक नौबत आ गई। इस तरह के लोग समाज के बिगड़े हुए लोग हैं। ऐसे लोगों को कड़ी सजा देनी चाहिए।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी और राष्ट्रीय महासचिव हजरत मौलाना फज्लुर्रहीम मुजद्दिदी मदरसा जामे उल उलूम पटकापुर में रविवार को श्रद्धांजति सभा का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग इकट्ठा हुए थे। इस दौरान समाज के गंभीर मुद्दों पर चर्चा की गई।

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इंसानी भाई-चारे का संदेश

मुस्लिम लॉ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि एक अहम पैगाम है, जो मैं आप लोगों के जरिए पहुंचाना चाहता हूं। यह पैगाम है इंसानी भाई चारे का है। हमारे मुल्क के संविधान की बुनियाद देश में बसने वाले तमाम शहरियों की एक दूसरे की बराबरी से है। हमें एक दूसरे की जानमाल, इज्जत आबरू का, और आस्था का ख्याल रखना चाहिए। हिंदूस्तान को एक ऐसा गुलदस्तां बनाना है, जिसमें मंदिर-मजिस्द जुडे हों।

सरकार के भरोसे जुल्म को नहीं रोका जा सकता- रहमानी

मेरा दूसरा पैगाम समाज सुधार का है। इस वक्त हमारे मुल्क में बदकिस्मती से महिलाओं पर जुल्म बहुत बढ़ रहा है। मासूम बच्चियों का बेरहमी से कत्ल हो रहा है। मां के पेट में बच्चियों को दफन किया जा रहा है। बूढ़े मां-बाप को घर से बाहर निकाल दिया जाता है। हमें अपने समाज को बेहतर बनाना चाहिए। बेहतर समाज के साथ ही हम जिंदगी बिता सकते हैं। हमने जो जुल्म रोकने की बात की है। इसे सरकार को भी करनी चाहिए, और समाज को भी करनी चाहिए। सिर्फ सरकार के भरोसे से जुल्म को नहीं रोका जा सकता है। इसके लिए हम सभी को आगे आना होगा।

बच्चियों के साथ हो रहे जुल्मों की मुख्य वजह सोशल मीडिया है। आज का युवा वर्ग ऐसी चीजों की तरफ बढ़ रहा है, जिसकी तरफ उन्हे नहीं जाना चाहिए। बच्चे नासमझ होते हैं, और बड़ी आसानी से आकर्षित हो जाते हैं।

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