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November 23, 2024 5:32 am

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‘इस्लाम पसंद नहीं, जीवन भर हिन्दू ही रहूँगी’ ; पढ़िए नरगिस से निक्की बनी इस युवती की आपबीती

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ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के आगरा की रहने वाली नरगिस ने हिंदू धर्म स्वीकार कर मैनपुरी के आलोक से शादी रचाई है। मंगलवार (28 फरवरी, 2023) को मैनपुरी में नरगिस और आलोक का विवाह संपन्न हुआ। दोनों एक दूसरे को साल भर से जानते थे। उनकी दोस्ती सोशल मीडिया के जरिए हुई। इसके बाद दोनों ने विवाह करने का निश्चय किया।

मीडिया रिपोर्टों की मानें तो अपनी शादी से खुश नरगिस ने कहा है कि उसे बचपन से ही सनातन धर्म पसंद था। कभी-कभी वह मंदिर भी चली जाती थी जिससे नाराज अब्बू (पिता) उसकी पिटाई भी किया करते थे। शुद्धिकरण की प्रक्रिया के बाद नरगिस से निक्की बनी नई नवेली दुल्हन ने बताया कि इस्लाम उसे कभी पसंद नहीं था। निक्की के अनुसार, आलोक से उसकी दोस्ती इंस्टाग्राम पर हुई थी। कुछ दिनों की बातचीत के बाद दोनों ने एक होने का निश्चय कर लिया।

निक्की का कहना है कि अब वह जीवन भर हिंदू बनकर रहना चाहती हैं। मैनपुरी के मंदिर में विवाह के दौरान आलोक के परिजन व दोस्त मौजूद रहे, जबकि निक्की के घर से किसी ने विवाह समारोह में हिस्सा नहीं लिया। बताया गया है कि निक्की की माँ की मौत हो चुकी है। निक्की और आलोक ने कोर्ट में भी विवाह (कोर्ट मैरिज) करने वाले हैं।

आलोक को मिली थी प्यार करने की सजा

आलोक और निक्की के प्यार के बीच निक्की के वालिद (पिता) दीवार बनकर खड़े थे। माँ की मौत के बाद निक्की और उसके अब्बू ही घर में रह गए थे। निक्की के मुताबिक, एक बार जब आलोक निक्की से मिलने आगरा पहुँचा था तो निक्की के पिता को इसकी भनक लग गई थी। इसके बाद उन्होंने निक्की की पिटाई की थी। इस बात की जानकारी होते ही आलोक निक्की को लेकर मैनपुरी चले आए।

निक्की के पिता ने आलोक की शिकायत कर दी। इसके बाद पुलिस ने आलोक को पकड़ लिया और निक्की को उसके पिता के हवाले कर दिया। पुलिस की गिरफ्त से छूटने के बाद आलोक और निक्की ने विवाह कर लेने का फैसला किया। निक्की का कहना है कि मैं बालिग हूँ और मुझे अपने पसंद के लड़के से विवाह करने का अधिकार है। मैंने बिना देरी किए आलोक के साथ 28 फरवरी को शादी कर लिया। वहीं आलोक का कहना है कि नरगिस से निक्की बनने के लिए हमारी तरफ से कोई दबाव नहीं डाला गया। यह फैसला उसका अपना है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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