Explore

Search
Close this search box.

Search

November 23, 2024 1:20 am

लेटेस्ट न्यूज़

अपने अपने पति ही बदल डाली 4 हजार महिलाओं ने, अब बनी सरकार के लिए मुसीबत

10 पाठकों ने अब तक पढा

सुरेन्द्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट

उदयपुर। राजस्थान के लोग सालों से सामाजिक प्रथा-कुप्रथाओं को झेल रहे हैं, जिनके कई मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन आज एक ऐसा मामला सामने आया है, एक कुप्रथा का शिकार सरकार की योजना पर भारी पड़ गई है।

जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर हाल ही में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। एक तरफ जहां इस योजना के मुताबिक राज्य में बन रहे मकानों में से चार हजार मकान बनने के लिए अधूरे पड़े हुए हैं। इसके पीछे का कारण नाता प्रथा है। 

दरअसल राजस्थान की इस नाता प्रथा के तहत महिलाओं ने दूसरी शादी कर ली है और नया पति बनने के बाद पुराने मकान बनने का काम जहां था वहीं, रूक गया है। मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के आदिवासी इलाके डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, बांसवाड़ा में कई मामले सामने आए हैं, जिसमें लगभग 4 हजार महिलाओं के पति बदल लेने से प्रशासन के सामने समस्या खड़ी हो गई है।

जानकारी के मुताबिक, जिन 4 हजार महिलाओं ने दूसरी शादी कर ली है, उनके नाम पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर आवंटित किए गए थे। बता दें कि इस योजन में घर बनाने के लिए महिलाओं के नाम पर पैसे दिए जाते है। इस योजना का लाभ लेने वाली 4000 महिलाएं अपना घर छोड़कर किसी और शख्स के साथ नए घर में रहने लग गई हैं। इसके चलते ही अब जिस मकान के लिए इन्हें राशि दी गई थी, वह बीच में ही अधूरा रह गया है।

इस मामले में जिन महिलाओं की संख्या सामने आई है, वह आदिवासी इलाके की है, जहां सदियों से नाथा प्रथा के तहत महिलाएं अपनी मर्जी से किसी भी दूसरे व्यक्ति से शादी कर सकती हैं, जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। साथ ही आदिवासी समाज में तलाक का भी कोई नियम नहीं है। इस स्थिति में इन महिलाओं से पैसा लेने भी सरकार के लिए मुश्किल हो गया है।

बता दें कि पीएम आवास योजना के तहत तीन किश्तों में रुपये दिए जाते हैं। पहली किश्त में महिला मुखिया के खाते में 15 हजार रुपये, दूसरी किश्त में 45 हजार रुपये और तीसरी किश्त में 60 हजार रुपये दिए जाते हैं।

इन मामलों के सामने आने के बाद उदयपुर जिला परिषद के आवास प्रभारी अरुण शर्मा ने कहा कि  उदयपुर जिले में लगभग 4 हजार इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं, जिनका कोई समाधान नहीं पा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में अब ऐसा कानून बनाना चाहिए जिसके तहत इस मामलों से निपटा जा सके और आवंटित पैसे वापस लिए जा सकें।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़