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आजादी के अमृत महोत्सव से कुदरत भी था खुश, इंद्रधनुष से आसमान ने मनाया था जश्न

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परवेज़ अंसारी और सुहैल खान की रिपोर्ट 

देश की आजादी का स्वागत सुहावने मौसम ने भी किया था। लालकिले पर जब झंडारोहण किया जा रहा था तो उस समय आसमान में इंद्रधनुष भी उतर आया था, जिसे देखकर स्वतंत्रता दिवस समारोह में आए लोग झूम उठे। लालकिले पर होने वाले समारोह को लेकर लोगों में खासा उत्साह था। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे। उस दिन मौसम भी मेहरबान था। सुहाने मौसम में लोगों का उत्साह तब और भी बढ़ गया जब उन्होंने आसमान में ध्वजारोहण के साथ इंद्रधनुष को भी तनते हुए देखा। डोमिनीक लापिएर व लैरी कॉलिंस ने अपनी किताब ‘आजादी-आधी रात को’ में भी इस घटना का जिक्र किया है।

उन्होंने लिखा…ऐसा लगता था कि प्रकृति ने भी इस क्षण की ऐतिहासिक छाप को और भी रंगीन बना देने की ठान ली थी। जैसे ही स्वतंत्र भारत का ध्वज ऊपर शिखर पर पहुंचा, वैसे ही आकाश पर अचानक इंद्रधनुष निकल आया। लोगों को लगा कि इंद्रधनुष का निकलना जैसे कोई दैवीय संकेत है। सबसे अद्भुत बात यह थी कि इंद्रधनुष के हरे, पीले और नीले रंग भी उस कमान के बीचोबीच लहराते हुए झंडे के तीन रंगों जैसे ही लग रहे थे।

पीएम मोदी ने सोमवार सुबह लाल किले की प्राचीर से 7.30 बजे तिरंगा फहराया। यह 9वां मौका है, जब उन्होंने भारत के पीएम के तौर पर स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराया है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारा तिरंगा आन बान शान के साथ लहरा रहा है।

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उन्होंने कहा, ‘आज का दिवस ऐतिहासिक दिवस है। एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का यह शुभ अवसर है। आजादी की जंग में गुलामी का पूरा कालखंड संघर्ष में बीता है। भारत का कोई कोना ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न किया हो। जीवन न खपाया हो, आहुति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष के लिए नमन करने का अवसर है। उनका स्मरण करते हुए उनके सपनों को पूरा करने के लिए संकल्प लेने का भी अवसर है। आज हम सभी कृतज्ञ हैं पूज्य बापू के, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहब आंबेडकर, वीर सावरकर के… जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपा दिया। यह देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल। ऐसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी।’

हमने उन्हें याद किया, जिन्हें भुला दिया गया

जब हम आजादी की चर्चा करते हैं, तो जंगलों में रहने वाले आदिवासी समाज का गौरव नहीं भूलते। बिसरा मुंडा समेत अनगिनत नाम है। जिन्होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर सुदूर जंगलों में आजादी के लिए मर मिटने की प्रेरणा जताई। एक दौर वो भी था, जब स्वामी विवेकानंद, स्वामी अरविंदो, रविंद्र नाथ टैगोर भारत की चेतना जगाते रहे। 2021 से शुरू हुए आजादी के अमृत महोत्सव में देशवासियों ने व्यापक कार्यक्रम किए। इतिहास में इतना बड़ा महोत्सव पहली बार हुआ। हमने उन महापुरुषों को भी याद किया, जिन्हें इतिहास में जगह नहीं मिली या उन्हें भुला दिया गया।

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सबने दर्द खुशी खुशी सहे

मोदी ने कहा, ’14 अगस्त को भारत ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को भी हृदय के घावों को याद करके मनाया। देश वासियों ने भारत के प्रति प्रेम के कारण सबने दर्द खुशी खुशी सहे। आजादी के अमृत महोत्सव में हम सेना के जवानों, पुलिस कर्मी, ब्यूरोक्रेट, लोकसेवक, जनप्रतिनिधि, शासक-प्रशासकों को याद करने का अवसर है।’

75 साल की हमारी ये यात्रा अनेक उतार चढ़ाव से भरी हुई है। सुख दुख की छाया मंडराती रही है। इसके बीच भी हमारे देशवासियों ने पुरुषार्थ किया। उपलब्धियां हासिल कीं। ये भी सच्चाई है, सैकड़ों सालों की गुलामी ने गहरी चोटें पहुंचाई हैं। इसके भीतर एक जिद थी, जुनून था। आजादी मिल रही थी तो देशवासियों को डराया गया। देश के टूटने का डर दिखाया गया। लेकिन, ये हिंदुस्तान है। ये सदियों तक जीता रहा है। हमने अन्न का संकट झेला, युद्ध के शिकार हुए। आतंकवाद का प्रॉक्सीवार, प्राकृतिक आपदाएं झेलीं, लेकिन इसके बावजूद भारत आगे बढ़ता रहा।

आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था…

पीएम ने कहा कि जिनके जेहन में लोकतंत्र होता है, वे जब संकल्प लेकर चल पड़ते हैं वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी सल्तनतों के लिए संकट का काल लेकर आती है। ये लोकतंत्र की जननी हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास अनमोल सामर्थ्य है। 75 साल की यात्रा में उतार चढ़ाव आए। 2014 में देशवासियों ने मुझे दायित्व दिया। आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला। लेकिन मेरे दिल में जो भी आप लोगों से सीखा हूं, जितना आप लोगों को जान पाया हूं, सुख दुख को समझ पाया हूं… उसको लेकर मैंने अपना पूरा कालखंड देश के उन लोगों को सशक्त बनाने में खपाया- दलित, शोषित, किसान, महिला, युवा हो, हिमालय की कंदराएं हों समुद्र का तट हो। हर कोने में बापू का जो सपना था आखिरी इंसान को सामर्थ्य बनाने की, मैंने अपने आप को उसके लिए समर्पित किया।

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Author: samachardarpan24

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