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November 6, 2024 3:58 pm

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इतिहास का प्रेरक अध्याय बन चुके “मुक्ति गाथा” कार्यक्रम में मालिनी को सुनकर योगी हुए भावुक; देखिए वीडियो ?

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

लखनऊ। शुक्रवार की देर शाम लखनऊ में लोक गायिका मालिनी अवस्थी का कार्यक्रम था। इसमें सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। मालिनी अवस्थी ने उन गीतों को गाना शुरू किया जो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान प्रतिबंधित थे। एक गीत स्वतंत्रता संग्राम और असहयोग आंदोलन के बारे में था। गाना सुनते ही सीएम इमोशनल हो गए और उनकी आंखें नम हो गईं।

मेरठ क्रांति से काकोरी कांड तक गाने गाए गए

कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सरसंघ कार्यवाह दत्तात्रेय होसबले और पूर्व सरसंघ कार्यवाह भैयाजी जोशी भी मौजूद थे। कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों को गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। मंगल पांडे की मेरठ क्रांति, रानी लक्ष्मीबाई के युद्ध, बहादुर शाह जफर की कहानी और काकोरी घटना से संबंधित गीत गाए गए। इसके अलावा चौरी-चौरा कांड, चंपारण के सत्याग्रह और स्वदेशी आंदोलन के गीत भी गाए गए।

कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा, ”हम सब का सौभाग्य है कि आजादी के अमृत महोत्सव के साल में हम आनंद महसूस कर रहे हैं। यह चौरी-चौरा आंदोलन का शताब्दी साल भी है। मैं आज के इस कार्यक्रम में सोन चिरैया सांस्कृतिक संस्था का अभिनंदन करता हूं। साथ ही लोक गायिका मालिनी अवस्थी को धन्यवाद देता हूं।”

योगी ने कहा, ”मालिनी अवस्थी ने 11 साल पहले यह संस्था बनाई। सोन चिरैया हमारे लोक परंपरा का शब्द है। यह मुक्ति गाथा उसका प्रतिनिधित्व करता हुआ यहां पर दिखाई दिया है।” उन्होंने आगे कहा, “संगीत साधना है। बिना भक्ति के शक्ति नहीं होती। अगर भक्ति नहीं जुड़ती, तो क्रांतिकारियों की लंबी श्रंखला भी नहीं खड़ी होती। क्रांतिकारी नहीं आते, तो गुलामी की जंजीरों को तोड़ने में भी नाकों चने चबाना पड़ता।”

दत्तात्रेय बोले- शहीदों की चिता पर हो मुक्ति गाथा का कार्यक्रम

इस अवसर पर दत्तात्रेय होसबले ने कहा, “हम भारत के विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। मातृभूमि के लिए अपने जीवन के एक-एक क्षण और रक्त के कण-कण की कुर्बानी देने वाले महान सपूतों के कारण आज हम आजाद भारत के नागरिक हैं। हमें देशभक्ति के इस अभियान में शामिल होने का मौका देने के लिए हम सोन चिरैया परिवार को धन्यवाद देते हैं।

उन्होंने कहा, “मुक्ति गाथा का यह कार्यक्रम भारत के एक शहर में ही नहीं, बल्कि हर कॉलेज और विश्वविद्यालय में होना चाहिए। इतिहास का यह प्रेरक अध्याय युवा नागरिकों के जीवन का अंग बनना चाहिए। हर साल शहीदों की चिता मेला देश पर रखी जाएगी, बाकी मरने वालों की निशानी होगी। इस मुक्ति गाथा का कार्यक्रम शहीदों की चिता पर होना चाहिए।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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