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लखनऊ

कानपुर बवाल के पीछे सिर्फ विवादित बयान ही नहीं पढ़िए कुछ और भी कारण थे…

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के कानपुर दौरे के बीच शुक्रवार को  कानपुर में भड़की हिंसा और पत्थरबाजी के मामले में पुलिस ने हिंसा की साजिश रचने वाले मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी समेत 4 आरोपियों को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया।

जफर समेत मुख्य चार साजिशकर्ताओं को क्राइम ब्रांच ने लखनऊ के हजरतगंज स्थित एक मकान से दबोचा। हिंसा के मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी के पास से पीएफआई (पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) से संबंधित चार संस्थाओं के तमाम दस्तावेज बरामद हुए हैं। पुलिस अब इसकी गहराई से पड़ताल में जुट गई है।

शुक्रवार को पुलिस ने 18 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था। भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के एक बयान के विरोध में शुक्रवार को बाजार बंद का आह्वान किया गया था। जुमे की नमाज के बाद नई सड़क में हजारों की भीड़ ने दूसरे समुदाय के लोगों की जबरन दुकानें बंद करवाकर चंद्रेश्वर हाता में घुसकर हमला किया था। इसके बाद जमकर हिंसा फैली थी। 

उपद्रव के पीछे केवल एक विवादित बयान को लेकर गुस्सा नहीं है। इसके पीछे एक बड़ी साजिश मानी जा रही है। शुरुआती जांच में चार प्रमुख कारण प्रकाश में आए हैं, जिनकी वजह से उपद्रवियों व असामाजिक तत्वों ने मुस्लिम युवकों को धर्म का वास्ता देकर भड़काया। असल में इन सबके पीछे भूमिका केवल यही थी कि उनका जरायम पर खड़ा साम्राज्य बचा रहे।

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वर्तमान समय में जहां शत्रु संपत्ति और डी-टू गैंग के खिलाफ कार्रवाई का दबाव लगातार बढ़ रहा है, वहीं एमएमए जौहर फैंस और पापुलर फंड आफ इंडिया (पीएफआइ) का कनेक्शन भी बड़ी चेतावनी है कि अंदर खाने कुछ बड़ा पक रहा है।

केरल के चरमपंथी संगठन पीएफआइ का नाम शहर में सीएए को लेकर बवाल के दौरान सामने आया था। पुलिस ने इसके पांच सदस्यों को उपद्रव में शामिल होने के आरोपों में गिरफ्तार किया था। तब से यह चर्चा है कि मुस्लिम क्षेत्रों में यह संगठन तेजी से पैर पसार रहा है। अब एमएमए जौहर फैंस एसोसिएशन पर भी सवाल है कि वह कानपुर में पीएफआइ के इशारे पर काम करता है। बंद के आह्वान दोनों ने एक ही दिन क्यों किया, जांच का विषय है। पुलिस आयुक्त दोनों संगठनों के आर्थिक स्रोतों की जांच के लिए भी कह चुके हैं।

डी-टू गैंग के आतंकियों से संपर्क पर इन दिनों जांच हो रही है। शत्रु संपत्तियों के मामले में जो भूमाफिया सामने आ रहे हैं, उनके डी-टू गैंग से संबंध सामने आए हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार बाबा का है। मुख्तार बाबा के विरोधी लगातार यह दावा करते आ रहे थे कि अगर इस पर लगाम नहीं कसी गई तो शहर के अमन चैन को खतरा हो सकता है और वही हुआ।

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जिन लोगों को नामजद किया गया है या पकड़ा गया है, उनमें शामिल इसराइल, आदिल और इमरान कालिया पर डी-टू गैंग के लिए काम करने का आरोप है। डी-टू गैंग का सबसे खास शूटर अफजाल दस दिनों पहले जेल से छूटा है। उसके भी इस उपद्रव में शामिल होने की आशंका है।

मुस्लिम क्षेत्रों व शहर के तमाम इलाकों में अरबों की शत्रु संपत्तियां फर्जी दस्तावेज बनाकर बेंच दी गईं। नई सड़क व दादा मियां का हाता क्षेत्र, जहां शुक्रवार को बवाल हुआ, वहां भी आसपास बड़ी संख्या में शत्रु संपत्तियां हैं। जो एफआइआर घायल मुकेश की ओर से दर्ज कराई गई है, उसमें भी कहा गया है कि यहां शत्रु संपत्तियों पर केडीए के अफसरों के आंख मूंदने की वजह से ऊंची-ऊंची अवैध इमारतें तन गईं। यही ऊंची इमारतें अब पथराव और गोलीबारी का केंद्र बन गई हैं। शत्रु संपत्तियों की जांच के दौरान यह भी सामने आया कि इससे जुड़े भूमाफिया कुछ आपराधिक तत्वों से भी जुड़े हैं।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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