
“यूपी कांग्रेस में गोंडा जिलाध्यक्ष की नियुक्ति पर बवाल! भाजपा के करीबी नेता राम प्रताप सिंह को पद मिलने से कार्यकर्ताओं में असंतोष, सोशल मीडिया पर भारी विरोध। पढ़ें पूरी खबर।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में अपने गुजरात दौरे के दौरान कहा था कि पार्टी में भाजपा समर्थक लोगों को बाहर करना जरूरी है, ताकि संगठन को सही दिशा में आगे बढ़ाया जा सके। हालांकि, उनकी इस रणनीति को उनकी ही पार्टी के नेता गंभीरता से लेते नहीं दिख रहे हैं।
गोंडा में भाजपा के करीबी को जिलाध्यक्ष बनाने पर विवाद
उत्तर प्रदेश कांग्रेस द्वारा हाल ही में घोषित जिलाध्यक्षों की सूची में कुछ नामों को लेकर कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष बढ़ रहा है। खासकर, गोंडा से राम प्रताप सिंह को जिलाध्यक्ष बनाए जाने पर जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है।
राम प्रताप सिंह न केवल भाजपा से विधायक रह चुके हैं, बल्कि हालिया चुनावों में भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें टिकट न मिलने पर ही उन्होंने कांग्रेस का रुख किया। अब उन्हें कांग्रेस में इतना महत्वपूर्ण पद दिए जाने से कार्यकर्ताओं में रोष है।
बृजभूषण शरण सिंह के करीबी हैं राम प्रताप सिंह
राम प्रताप सिंह को भाजपा के वरिष्ठ नेता बृजभूषण शरण सिंह का करीबी माना जाता है। कुछ ही महीने पहले, फरवरी में उन्होंने अपने पिता के सम्मान में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें मुख्य अतिथि बृजभूषण शरण सिंह थे। इस कार्यक्रम में कांग्रेस का कोई नेता शामिल नहीं था, जबकि भाजपा के कई दिग्गज मंच पर मौजूद थे।
इससे यह सवाल उठता है कि क्या राम प्रताप सिंह कांग्रेस के प्रति वफादार रहेंगे या चुनाव से पहले फिर से भाजपा में वापसी करेंगे?
कार्यकर्ताओं का बढ़ता असंतोष और सोशल मीडिया पर विरोध
राम प्रताप सिंह की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर इस फैसले की आलोचना की जा रही है, और कई कार्यकर्ता दिल्ली तक शिकायत करने की तैयारी कर रहे हैं।
कार्यकर्ताओं का मानना है कि अगर कांग्रेस भाजपा से जुड़े नेताओं को ही महत्वपूर्ण पदों पर बैठाएगी, तो राहुल गांधी की पार्टी को मजबूत करने की रणनीति कैसे सफल होगी?
वरिष्ठ नेताओं ने क्यों किया भाजपा कनेक्शन नजरअंदाज?
यूपी कांग्रेस में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के दौरान उम्मीदवारों के इंटरव्यू लिए गए थे और संगठन की मजबूती को ध्यान में रखते हुए चयन किया गया था। इसके बावजूद राम प्रताप सिंह को इस पद पर बैठाना पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मंशा पर सवाल खड़े करता है।
कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि कई जिलों में ऐसे नेताओं को भी जिलाध्यक्ष बनाया गया, जिन्होंने इस पद के लिए आवेदन तक नहीं किया था। इससे पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है।
पार्टी को निर्णय पर पुनर्विचार करने की जरूरत
कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता वृजेंद्र सिंह का कहना है कि जिलाध्यक्ष का पद संगठन की विचारधारा से गहराई से जुड़ा होता है। ऐसे पद पर उन्हीं लोगों की नियुक्ति होनी चाहिए जो पार्टी की विचारधारा और सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान हों।
उन्होंने कहा कि बृजभूषण शरण सिंह लगातार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के खिलाफ विवादित बयान देते रहे हैं। ऐसे में उनके करीबी नेता को जिलाध्यक्ष बनाना गलत संदेश देता है। पार्टी को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, ताकि कार्यकर्ताओं का मनोबल बना रहे और संगठन की मजबूती बनी रहे।
कांग्रेस पार्टी की उत्तर प्रदेश में मजबूती के लिए सही नेतृत्व बेहद जरूरी है। अगर भाजपा से जुड़े नेताओं को अहम पद दिए जाते हैं, तो इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट सकता है और संगठन कमजोर हो सकता है। ऐसे में पार्टी को जल्द ही इस विवाद पर उचित निर्णय लेना होगा, ताकि आगामी चुनावों में उसे नुकसान न उठाना पड़े।
➡️अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट