
“बलिया में बीजेपी के नव-निर्वाचित जिला अध्यक्ष संजय मिश्रा की प्रेरणादायक कहानी! कभी पार्टी कार्यालय में झाड़ू लगाने वाले संजय मिश्रा आज संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं। जानिए उनके संघर्ष से सफलता तक के सफर की पूरी कहानी।”
उत्तर प्रदेश के बलिया में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नव-निर्वाचित जिला अध्यक्ष संजय मिश्रा की चर्चा जोरों पर है। उनका संघर्ष और समर्पण आज कई कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा बन गया है। कभी पार्टी कार्यालय में झाड़ू लगाने और कुर्सियां सही करने वाले संजय मिश्रा ने अपनी मेहनत के बलबूते यह मुकाम हासिल किया है।
सुबह 6 बजे से शुरू होती थी दिनचर्या
संजय मिश्रा ने एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में अपनी दिनचर्या का जिक्र किया। उन्होंने बताया, “मैं हर दिन सुबह 6 बजे घर से निकलता था और सबसे पहले पार्टी कार्यालय पहुंचकर ताला खोलता था। इसके बाद कुर्सियां ठीक करता और झाड़ू लगाता था।”
इतना ही नहीं, झाड़ू लगाने के बाद वह घर लौटकर स्नान करते और फिर दोबारा कार्यालय में अपनी जिम्मेदारियों को निभाने पहुंच जाते थे। उनका यह समर्पण केवल दिन तक सीमित नहीं था, बल्कि रात में भी कार्यकर्ताओं की मदद के लिए वे हमेशा तैयार रहते थे।
रात में भी निभाई जिम्मेदारी
संजय मिश्रा ने बताया, “कई बार पार्टी कार्यकर्ता फोन कर कहते थे कि उनकी बेटी या बेटा रात में कार्यालय में ठहरेंगे। ऐसे में मैं बिना किसी आलस के रात में कार्यालय जाता और ताला खोलता था। यह सिलसिला कई सालों तक चला।”
लोग उड़ाते थे मजाक, लेकिन नहीं हारे हौसला
हर संघर्षशील व्यक्ति की तरह संजय मिश्रा को भी समाज के तानों और मजाक का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा,
“शुरुआत में लोग मेरा मजाक उड़ाते थे। वे कहते थे कि यह सब करने से कोई फायदा नहीं होगा। लेकिन मेरे अंदर हमेशा एक कार्यकर्ता का भाव था, इसलिए मैंने इन बातों को नजरअंदाज किया।”
उन्होंने यह भी बताया कि उनका समर्पण संगठन के प्रति इतना अधिक था कि वे पारिवारिक जरूरतों से पहले पार्टी की जरूरतों को रखते थे। इसके कारण कई बार उनके पिता उनसे नाराज हो जाते थे और कभी-कभी उनकी पिटाई भी कर देते थे।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
संजय मिश्रा की यह प्रेरणादायक कहानी बताती है कि मेहनत और समर्पण का कोई विकल्प नहीं होता। पार्टी कार्यालय की साफ-सफाई से शुरू हुआ उनका सफर आज बीजेपी जिला अध्यक्ष के पद तक पहुंच चुका है। उनके संघर्ष और मेहनत ने यह साबित कर दिया कि यदि सच्ची लगन और ईमानदारी हो, तो सफलता अवश्य मिलती है।
➡️जगदम्बा उपाध्याय की रिपोर्ट