सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के मुद्दे पर खुलकर अपना समर्थन व्यक्त किया है। मायावती ने कहा कि इस प्रणाली के लागू होने से देश में विकास कार्यों को चुनावी प्रक्रिया की वजह से बार-बार नहीं रोका जाएगा और जनहित के कार्यों को निर्बाध गति मिलेगी। उन्होंने तर्क दिया कि एक साथ चुनाव कराए जाने से राजनीतिक दलों पर आर्थिक बोझ भी कम होगा, क्योंकि बार-बार होने वाले चुनावों में खर्च बढ़ जाता है। उन्होंने देश के सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि ‘एक देश, एक चुनाव’ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विचार करना चाहिए।
कांग्रेस पर तीखा प्रहार
बसपा मुख्यालय लखनऊ में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मायावती ने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब डॉ. भीमराव आंबेडकर कानून मंत्री थे, उस समय उन्होंने देखा कि कांग्रेस संविधान के अनुरूप कार्य नहीं कर रही है। इस कारण से उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को इस्तीफा सौंप दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने डॉ. आंबेडकर को संसद में अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया, जिसके चलते उन्हें अपनी बात मीडिया के माध्यम से रखनी पड़ी।
मायावती ने कांग्रेस पर एससी, एसटी और पिछड़े वर्गों के हितों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा संविधान और आरक्षण का सहारा लेकर इन वर्गों के हितों को हाशिये पर डालकर अपनी राजनीति की है। उन्होंने इस बात पर भी नाराज़गी जाहिर की कि संसद में संविधान पर हो रही चर्चा के दौरान कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं, जबकि आम जनता से जुड़े मुद्दे पीछे छूट गए हैं।
कांग्रेस के “हथकंडों” से सावधान रहने की अपील
मायावती ने कहा कि संविधान की सार्थकता तभी साबित होगी, जब उसे पूरी ईमानदारी और खुले दिल से स्वीकार किया जाए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर ऐसा हुआ होता तो आज करोड़ों लोग बेरोजगारी की वजह से सरकारी अनाज पर निर्भर नहीं रहते। उन्होंने कांग्रेस पर डॉ. आंबेडकर के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने उन्हें भारत रत्न तक नहीं दिया था। यह सम्मान डॉ. आंबेडकर को वीपी सिंह की सरकार के दौरान मिला था।
उन्होंने बसपा के संस्थापक कांशीराम का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी मृत्यु के बाद कांग्रेस ने एक दिन का राष्ट्रीय शोक तक घोषित नहीं किया। मायावती ने जनता से अपील की कि वे कांग्रेस के ऐसे हथकंडों से सतर्क रहें और उनके बहकावे में न आएं।
सपा और भाजपा पर भी निशाना
मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर भी हमला बोलते हुए कहा कि सपा ने संविधान में संशोधन के लिए लाए गए विधेयक को संसद में फाड़कर संविधान के प्रति अपना असम्मान दिखाया था। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा भी अब संविधान में संशोधन को लेकर रुचि नहीं दिखा रही है।
मायावती ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार किसी व्यक्ति विशेष या अपने स्वार्थ के लिए संविधान में संशोधन का प्रयास करती है तो बसपा इसका पुरजोर विरोध करेगी। उन्होंने यह मांग भी की कि आरक्षण व्यवस्था को कमजोर होने से बचाने के लिए इसे संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल किया जाए।
मायावती ने एक बार फिर दोहराया कि ‘एक देश, एक चुनाव’ देश की जनता और विकास के हित में है और बसपा इसका समर्थन करेगी।