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18 December 2024 11:45 pm

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गौशाला में गोवंशों की दुर्दशा : जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल

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सोनू करवरिया की रिपोर्ट

नरैनी, बांदा। गौशाला में गोवंशों की दुर्दशा का मामला सामने आया है, जो नरैनी ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत तुर्रा में स्थित एक गौशाला से संबंधित है। विश्व हिंदू महासंघ गौरक्षा समिति के जिला प्रवक्ता उमेश तिवारी ने अपनी टीम के साथ गौशाला का दौरा किया, जहां उन्हें गोवंशों की हालत देखकर गहरा दुख हुआ। उन्होंने पाया कि गौशाला में गोवंशों को कई दिनों से भोजन नहीं दिया गया था, जिसके कारण ये गोवंश तिनका-तिनका बिनकर अपना पेट भरने के लिए खुद ही भोजन की तलाश कर रहे थे।

गौशाला में पानी पीने वाली चरही में कीड़े पड़ गए थे और वहां का पानी पीने योग्य नहीं था। इसके अलावा, जो भूसा रखा गया था, वह पूरी तरह से सड़ चुका था। यह पूरी घटना गौशाला प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाती है। गौ रक्षा समिति ने इस मामले की जानकारी जिले के अधिकारियों को कई बार दी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अधिकारी सरकार का हवाला देते हुए अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं।

उमेश तिवारी ने इस मामले की जानकारी खंड विकास अधिकारी नरैनी, प्रमोद कुमार को फोन पर दी, तो उनका जवाब हैरान करने वाला था। उन्होंने कहा, “मेरे पास यही काम नहीं है कि गौशाला का ध्यान रखूं। आप ही गौशाला चला लो।” यह जवाब किसी जिम्मेदार अधिकारी का नहीं हो सकता। यदि इस प्रकार का जवाब जिम्मेदार अधिकारी दे सकते हैं, तो ग्राम प्रधान और सचिव पर गौशाला की देखरेख का दबाव क्यों डाला जाता है, जबकि सभी कार्य इन जिम्मेदार अधिकारियों के अधीन होते हैं।

इस प्रकार के अधिकारियों की लापरवाही और असंवेदनशीलता प्रदेश के मुखिया, माननीय योगी आदित्यनाथ जी के प्रयासों को विफल करने का काम कर रही है। ऐसे अधिकारी न केवल अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं, बल्कि सरकार की छवि को भी धूमिल कर रहे हैं। इस मामले की जानकारी अतर्रा उपजिलाधिकारी को भी दी गई थी, लेकिन उनका फोन नहीं उठा।

अब यह देखना यह है कि क्या उच्च अधिकारी इस मामले में कार्रवाई करते हैं या फिर आपसी तालमेल से इसे रफा-दफा कर दिया जाएगा। इस दौरान प्रदीप कुमार, सोनू करवरिया, अमन करवरिया, आदित्य प्रताप सिंह और आशीष गुप्ता भी उमेश तिवारी के साथ मौजूद रहे।

यह मामला सिर्फ एक गौशाला की स्थिति का नहीं, बल्कि हमारे समाज की जिम्मेदारी और करुणा की कमी को भी दर्शाता है, जो हमें गहन विचार और सुधार की आवश्यकता की याद दिलाता है।

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