चित्रकूट जिला अस्पताल में मीरा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने छह महीने से वेतन न मिलने की शिकायत की। वहीं जल जीवन मिशन के निरीक्षण में पानी के दुरुपयोग पर अधिकारियों ने नाराजगी जताई और जागरूकता अभियान के निर्देश दिए।
राधेश्याम प्रजापति की रिपोर्ट
चित्रकूट। जिला अस्पताल में कार्यरत मीरा स्वयं सहायता समूह की सदस्याएं इन दिनों भारी आर्थिक संकट का सामना कर रही हैं। अस्पताल की रसोई में प्रसूताओं के लिए भोजन तैयार करने वाली प्रेमिया और सुकरी देवी ने नोडल अधिकारी से हाथ जोड़कर गुहार लगाई। उन्होंने बताया कि बीते छह महीने से वेतन नहीं मिला है, जिस कारण वे कर्ज लेकर काम चला रही हैं।
प्रेमिया देवी ने दुख जताते हुए कहा, “साहेब! बहुत परेशान हैं। अगर अब भी भुगतान नहीं हुआ, तो बच्चे भूखे मर जाएंगे।” महिलाओं की इस फरियाद पर नोडल अधिकारी ने उन्हें ढांढस बंधाया और आश्वासन दिया कि अब फंड मिलना शुरू हो गया है, अतः सभी को जल्द भुगतान किया जाएगा।
जल जीवन मिशन के निरीक्षण में खुली पोल
दूसरी ओर, जल जीवन मिशन के अंतर्गत चल रही सिलौटा मुस्तकिल पेयजल समूह योजना का निरीक्षण भी चर्चा का विषय बना रहा। नोडल अधिकारी ने ग्राम बरहट व सिंहपुर में स्थलीय निरीक्षण कर नलों की स्थिति देखी। निरीक्षण के दौरान जब कई स्थानों पर पानी बहता पाया गया, तो अधिकारी भड़क उठे।
उन्होंने ग्रामीणों को कड़ी हिदायत देते हुए कहा कि शुद्ध पेयजल का दुरुपयोग न किया जाए। विशेष रूप से इसे जानवरों को धोने या बर्बादी के रूप में उपयोग में न लाया जाए। ग्राम प्रधानों को निर्देश दिया गया कि वे गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाएं ताकि पेयजल का संरक्षण सुनिश्चित हो सके।
इस मौके पर पीडी सच्चिदानंद प्रसाद, प्रभारी सीएमओ डॉ. संतोष कुमार, और एक्सईएन जल निगम ए.के. भारती भी उपस्थित रहे।
एक ओर जहां मीरा समूह की महिलाएं अपने मेहनताना के लिए संघर्ष कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर जल जीवन मिशन की योजनाएं लापरवाही और जागरूकता की कमी के कारण संकट में हैं। प्रशासन को अब दोनों ही मोर्चों पर प्रभावी कार्रवाई करनी होगी ताकि जनहित में चल रही योजनाओं का वास्तविक लाभ आमजन तक पहुंचे।