अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
हाल ही में एक वीडियो के माध्यम से मुस्लिम नेता मिस्बाही खुर्शीद द्वारा दिए गए बयान ने पूरे देश में हंगामा मचा दिया है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, जिसमें मिस्बाही ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला बोला है।
उन्होंने कहा कि “मुख्यमंत्री तो हमारे यहां तक हैं, पाकिस्तान को हम कब्जा कर लेंगे। हम कहें तो पहले चलो, हम पहले कब्जा करेंगे। निकलो तो मठ से आवाज लगाने की जरूरत नहीं है, घर से बाहर निकलो।” इस बयान ने सियासी गलियारों में भूचाल पैदा कर दिया है।
वीडियो में मिस्बाही ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा का भी जिक्र किया और मुसलमानों से अपील की कि वे वहां जाकर हिंदुओं को बचाने के लिए आगे आएं।
मुख्यमंत्री कहते हैं हम पाकिस्तान पर कब्जा कर लेंगे,
बांग्लादेश में हमारे भाई मर रहे हैं, वहां चलो हमारे भाइयों के लिए हमारी जान कुर्बान है। मठ से चिल्लाने से कुछ नहीं होगा pic.twitter.com/hqAEq1Ppg3— Kavish Aziz (@azizkavish) August 18, 2024
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है, वह हमारे आप के साथ है। चलो हिंदुओं को बचाने के लिए। हमारा हिन्दू भाई मर रहा है और तुम घरों में बैठे हुए हो। अपने भाइयों को बचाने के लिए खड़े नहीं हो सकते। हम अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार हैं।”
मिस्बाही के इस बयान से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वीडियो की जांच के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे “देश की अखंडता और सुरक्षा के खिलाफ बयान” करार देते हुए कहा है कि इस तरह के बयान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी मिस्बाही के बयान की निंदा की है, लेकिन उन्होंने यह भी मांग की है कि सरकार इस वीडियो की सत्यता की जांच करे।
इसके साथ ही, कुछ धार्मिक संगठनों ने इस बयान को सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला बताते हुए आरोप लगाया है कि इस तरह के बयान समाज में विभाजन की भावना को और गहरा कर सकते हैं।
सोशल मीडिया पर भी इस वीडियो को लेकर लोगों में गुस्सा है। कुछ लोग मिस्बाही के समर्थन में खड़े हैं, जबकि अधिकांश लोग उनके इस बयान की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। यह मुद्दा अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है, और इस पर आगे की कार्रवाई को लेकर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
इस विवादित बयान ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या धार्मिक और सामुदायिक नेताओं को अपनी बयानबाजी में अधिक संयम और सावधानी बरतनी चाहिए। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं, जिससे देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति और भी संवेदनशील हो सकती है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."