दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
आज 18वीं लोकसभा का शुभारंभ हुआ है। पहले दो दिन, 24-25 जून, सभी नवनिर्वाचित सांसद शपथ लेंगे। प्रोटेम स्पीकर के रूप में भर्तृहरि मेहताब को नियुक्त किया गया है, जो लगातार सातवीं बार लोकसभा के सांसद चुने गए हैं, जिससे वे वरिष्ठतम सांसद हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। यह पद अस्थायी होता है और स्पीकर के चुनाव तक जारी रहता है।
कांग्रेस ने इस नियुक्ति पर भी राजनीति की है। उन्होंने केरल के सांसद के. सुरेश को वरिष्ठतम करार दिया है। सुरेश आठ बार के सांसद हैं, लेकिन उनका कार्यकाल निरंतर नहीं रहा है। वे 1998-2004 के दौरान पराजित भी हुए थे। लोकसभा के नियमानुसार उनका कार्यकाल चार बार के सांसदी के समान बनता है, इसलिए वरिष्ठतम सांसद भर्तृहरि मेहताब ही हैं। पहले वे बीजद के सांसद थे, लेकिन इस बार वे भाजपा से सांसद चुने गए हैं।
26 जून को सदन में हंगामा होने की संभावना है, क्योंकि स्पीकर का चुनाव सत्ता पक्ष, यानी एनडीए, से होगा और सरकार विपक्ष को डिप्टी स्पीकर की पेशकश करने के लिए तैयार नहीं है। संभावना है कि यह पद एनडीए के सहयोगी दल के सांसद को दिया जाएगा, जिसमें तेलुगूदेशम पार्टी के ज्यादा आसार हैं, क्योंकि जद-यू को राज्यसभा में उप सभापति का पद पहले से ही दिया गया है। इन परिस्थितियों में विपक्ष स्पीकर के चुनाव में हिस्सा ले सकता है। यदि स्पीकर का चुनाव होता है, तो यह संवैधानिक भारत में पहली बार होगा, क्योंकि अभी तक स्पीकर सर्वसम्मति से चुने जाते रहे हैं।
विपक्ष 18वीं लोकसभा में अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में है। अगर ‘इंडिया’ गठबंधन को एकजुट मान लिया जाए, तो उनके पास 234 सांसद हैं, जिसमें ममता बनर्जी की ‘तृणमूल कांग्रेस’ के 29 सांसद भी शामिल हैं।
हालांकि यह आंकड़ा अकेली भाजपा के 240 और एनडीए के 293 सांसदों से काफी कम है, लेकिन इस बार सदन में अराजकता और हंगामे के आसार पुख्ता लग रहे हैं। विपक्ष लगातार सरकार को घेरने की तैयारी में है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी का मानना है कि 2024 के आम चुनाव में जनादेश प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को नहीं मिला है। उनका दावा है कि यह सरकार अवैध और अल्पमत की है, और एनडीए के कुछ सदस्य उनके संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि मामूली गड़बड़ी से ही सरकार गिर सकती है।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निजी टिप्पणी करते हुए कहा कि उनकी छाती 56 इंच की बजाय 30-32 इंच की रह गई है और वे मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से टूट चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पद पर काम करना अब आसान नहीं होगा और प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। इसके अलावा, कांग्रेस के प्रवक्ता और विपक्ष के नेता प्रधानमंत्री को ‘झूठा’, ‘मक्कार’, ‘फासीवादी’ जैसे अपशब्दों से अपमानित कर रहे हैं।
इस स्थिति में सवाल उठता है कि संविधान और लोकतंत्र की भाषा में जनादेश किसे कहते हैं? आम चुनाव का जनादेश क्या है? मोदी सरकार को अल्पमत और असंवैधानिक सरकार किस आधार पर कहा जा सकता है?
27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदनों की साझा बैठक को संबोधित करेंगी और सरकार का एजेंडा स्पष्ट करेंगी। इसके बाद एक जुलाई को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सदन में चर्चा होगी और दो जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी इस पर अपना जवाब देंगे। यह नई लोकसभा में प्रधानमंत्री का पहला संबोधन होगा, जिसमें वे अपनी राजनीतिक प्राथमिकताओं को भी स्पष्ट करेंगे। उस समय विपक्ष के रुख से स्पष्ट होगा कि संसद किस तरह चलेगी।
विपक्ष ने प्रमुख तौर पर तीन मुद्दे तय किए हैं: नीट पेपर लीक और अन्य धांधलियां, मतदान समाप्त होने के बाद टीवी चैनलों पर दिखाए गए एग्जिट पोल के बाद शेयर बाजार में मची उथल-पुथल, और अग्निवीर योजना। इन मुद्दों पर विपक्ष जोरदार हंगामा करेगा और अपनी सामूहिक ताकत दिखाने की कोशिश करेगा, जिससे सरकार के लिए समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।
सामान्य हालात की अपेक्षा नहीं की जा सकती, क्योंकि विपक्ष में प्रधानमंत्री मोदी के प्रति नफरत के भाव भी हैं। बहरहाल, लोकतंत्र में सदन को सुचारू रूप से चलाना दोनों पक्षों की जिम्मेदारी होती है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."