सौम्या जयसवाल की रिपोर्ट
शुक्रवार की सुबह जयपुर-अजमेर हाईवे पर एक ऐसा हादसा हुआ जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। 12 जिंदगियां, जो अपने घर से किसी मकसद के साथ निकली थीं, अपनी मंज़िल तक नहीं पहुंच पाईं। हादसे में 40 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिनमें से कई की हालत चिंताजनक है। घटना ने हाईवे पर ऐसा मंजर पैदा किया जिसे देखना और समझना किसी के लिए आसान नहीं था।
हादसे के कई घंटे बाद भी चपेट में आए वाहनों में जिंदा जले लोगों के कंकाल निकाले जा रहे थे। टक्कर एलपीजी से भरे टैंकर और ब्लैंकेट से भरे ट्रक में हुई थी। इसके बाद एलपीजी टैंकर के सेफ्टी वॉल्व और नोजल टूट गए थे। लीकेज से गैस करीब 600 मीटर के एरिया में फैल गई। जिससे एक के बाद एक वाहन चपेट में आते चले गए। जहां हादसा हुआ, वहां माचिस की डिब्बियों से भरा ट्रक और एक एलपीजी से भरा टैंकर और था, जिसे मौका रहते साइड कर दिया गया। वरना यह हादसा और भी बड़ा हो सकता था।
वैशाली नगर से हाईवे ज्यादा दूर नहीं था, लेकिन बाईपास पहुंचते ही पता चला कि हाईवे का रास्ता बंद कर दिया गया है। पुलिस से पुरानी पहचान काम आई और बैरिकेड्स हटाकर अंदर जाने दिया गया। सुबह 7:55 पर घटनास्थल पहुंचने पर जो दृश्य देखा, वह किसी युद्ध क्षेत्र से कम नहीं था।
दृश्य और हालात
भांकरोटा चौराहे पर एक टैंकर जलकर खाक हो चुका था। उसके ठीक पीछे एक ट्रक था जिसने टक्कर मारी थी। हाईवे के दोनों ओर कई गाड़ियां खड़ी थीं—बसें, ट्रक, कारें, और मोटरसाइकिलें। इनमें से ज्यादातर धुएं और लपटों में तबाह हो चुकी थीं। पेड़ों तक से आग की लपटें उठ रही थीं। दमकल और एंबुलेंस की गाड़ियां लगातार दौड़ रही थीं।
कैसे हुआ हादसा?
मौके पर मौजूद लोगों से पता चला कि गैस से भरा हुआ टैंकर यू-टर्न ले रहा था, तभी पीछे से तेज़ रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी। टैंकर का नोज़ल टूटने से गैस लीक हुई और एक बड़ा विस्फोट हुआ। चंद सेकंड में ही 500 मीटर का दायरा आग की चपेट में आ गया। आसपास खड़ी 40 से ज्यादा गाड़ियां इस भीषण आग में जलकर खाक हो गईं।
रिपोर्टिंग का संघर्ष
हालात ऐसे थे कि लाइव रिपोर्टिंग करना मुश्किल हो रहा था। कैमरा यूनिट के आने से पहले मोबाइल फोन से ही रिपोर्टिंग शुरू की गई। नेटवर्क कमजोर था, लेकिन जरूरी जानकारी दर्शकों तक पहुंचाना अनिवार्य था। दमकल कर्मी लगातार पानी डालकर आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे। एक और टैंकर, जिसमें गैस भरी हुई थी, का तापमान नियंत्रित करने की कोशिशें जारी थीं।
झकझोर देने वाले दृश्य
बसों और कारों के अंदर के दृश्य किसी के भी दिल को झकझोर सकते थे। बसें पूरी तरह राख हो चुकी थीं। एक बुलेट मोटरसाइकिल देखकर लगा कि उसका चालक शायद एक युवा होगा, जो अपनी मंज़िल तक नहीं पहुंच सका। एक बस के पास एक टिफिन बॉक्स बिखरा पड़ा था, जिसमें रोटियां सड़क पर बिखरी हुई थीं। यह किसी यात्री का होगा जिसने सोचा होगा कि सुबह का नाश्ता इसी से होगा।
घटनास्थल पर प्रशासन और राहत कार्य
घटनास्थल पर जिला कलेक्टर, पुलिस अधिकारी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अपनी कैबिनेट के साथ पहुंचे। राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाई गई। मृतकों और घायलों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया। शाम तक मृतकों की संख्या 12 हो गई और घायलों की संख्या 40 से पार कर गई।
CCTV फुटेज से घटना की पुष्टि
हादसे के कारणों की जांच के लिए पास की एक फैक्टरी में लगे CCTV फुटेज खंगाले गए। धमाका इतना तेज़ था कि फैक्टरी के सारे कैमरे डैमेज हो गए। हालांकि, जो फुटेज मिली उससे पता चला कि टैंकर चालक के यू-टर्न लेते वक्त ट्रक ने पीछे से टक्कर मारी थी।
यह हादसा महज एक दुर्घटना नहीं था, बल्कि लापरवाही का नतीजा था जिसने कई परिवारों को उजाड़ दिया। आग से घिरे वाहनों और मौत का वह मंजर लंबे समय तक किसी के जेहन से नहीं मिट सकेगा।