ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
हाथरस जिले के सिकंदराराऊ कोतवाली क्षेत्र के गांव फुलराई में आयोजित भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत का दर्दनाक हादसा हुआ। यह घटना न केवल एक मानवीय त्रासदी के रूप में सामने आई, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक चर्चाओं का केंद्र भी बन गई।
इस घटना की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने तत्काल जांच के लिए एसआईटी और न्यायिक आयोग का गठन किया। एसआईटी ने अपनी 3200 पन्नों की जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है, जिसमें घटना से जुड़े सभी पहलुओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है। वहीं, न्यायिक आयोग ने इस मामले में सभी संबंधित पक्षों के बयान दर्ज किए हैं।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल
इस दर्दनाक हादसे के बाद प्रदेश में राजनीति गर्मा गई। पक्ष और विपक्ष के बड़े नेताओं, जिनमें राहुल गांधी, राकेश टिकैत और उपमुख्यमंत्री शामिल थे, ने हाथरस पहुंचकर मृतकों के परिजनों को सांत्वना दी। समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मृतकों के परिवारों को दो-दो लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की।
सरकार ने भी मृतकों के परिजनों के लिए आर्थिक सहायता का ऐलान किया। इसके साथ ही प्रशासनिक कार्रवाई के तहत कुछ अधिकारियों का तबादला किया गया और कुछ ने अपने पदों से हाथ धोया।
कौन है जिम्मेदार?
घटना के लिए फिलहाल आयोजनकर्ताओं को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। पुलिस ने मुख्य आयोजक देव प्रकाश मदुकर समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की। इस चार्जशीट में कई अहम सबूत और गवाहों के बयान शामिल हैं। अब तक पांच आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, जिनमें मंजू देवी, मंजू यादव, संजू यादव, राम लहते, और उपेंद्र यादव के नाम शामिल हैं। अन्य आरोपी अभी जेल में हैं।
आयोजन पक्ष के वकील, एपी सिंह, ने इस मामले में अदालत में आयोजकों की बेगुनाही साबित करने की तैयारी कर ली है।
न्यायालय में अगली सुनवाई
इस मामले की अगली सुनवाई 21 दिसंबर को हाथरस की अदालत में होगी। मामले की गंभीरता को देखते हुए यह सुनवाई बेहद अहम मानी जा रही है। सूरज पाल उर्फ भोले बाबा और अन्य आरोपियों की ओर से उनके वकील एपी सिंह अदालत में उपस्थित रहेंगे।
इस घटना ने जहां कई परिवारों को असहनीय पीड़ा दी है, वहीं यह सवाल भी उठता है कि इस त्रासदी के लिए असली दोषी कौन है? क्या यह प्रशासनिक चूक थी या आयोजनकर्ताओं की लापरवाही? इन सवालों का जवाब कोर्ट के फैसले के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। फिलहाल, पूरे प्रदेश की नजर इस मामले की सुनवाई पर टिकी हुई है।