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November 21, 2024 11:02 pm

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“बाबा” की सरकार में “बाबू” की जूते से पिटाई…और पीटने वाले स्कूल के प्रिंसिपल… क्या नजारा है “बाबा” के ‘सुशासन’ का… 

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

हाथरस जिले के मुरसान क्षेत्र में स्थित जीएस इंटर कॉलेज से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां लेट आने पर स्कूल के प्रिंसिपल ने एक बाबू की जूतों से पिटाई कर दी। यह पूरी घटना स्कूल परिसर में लगे एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिसके बाद इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

पांच मिनट की देरी पर बवाल

घटना तब हुई जब स्कूल का बाबू महज पांच मिनट की देरी से स्कूल पहुंचा। बाबू जब अटेंडेंस रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने जा रहा था, तो प्रिंसिपल ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। जानकारी के अनुसार, बाबू ने हस्ताक्षर करने की जिद की, जिस पर प्रिंसिपल भड़क उठे और बाबू को जूतों से मारने लगे।

विवाद ने लिया उग्र रूप

स्कूल के स्टाफ के कुछ अन्य सदस्य विवाद की आवाज सुनकर मौके पर पहुंचे और दोनों को शांत कराने का प्रयास किया। बताया जा रहा है कि विवाद के दौरान दोनों ने एक-दूसरे को अपशब्द कहे, जिससे माहौल और गर्मा गया। प्रिंसिपल की इस हरकत को स्कूल के अन्य कर्मचारियों ने भी देखा, लेकिन किसी ने बीच-बचाव करने की कोशिश नहीं की।

सीसीटीवी फुटेज में कैद हुई घटना

इस घटना का पूरा वीडियो स्कूल के सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे प्रिंसिपल ने गुस्से में बाबू पर जूते से कई बार वार किए। इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोग प्रिंसिपल के खिलाफ आक्रोश जता रहे हैं। वीडियो में लोग प्रिंसिपल पर दबंगई और अभद्रता का आरोप लगा रहे हैं।

सोशल मीडिया पर लोगों का आक्रोश

सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो को देखकर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि महज पांच मिनट की देरी पर किसी कर्मचारी को जूते से पीटना न सिर्फ गुंडागर्दी है बल्कि प्रिंसिपल की बेरुखी और अनुशासनहीनता भी दर्शाता है। कई लोग इस घटना की कड़ी निंदा कर रहे हैं और प्रिंसिपल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार

फिलहाल, इस मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर उचित कार्रवाई करेगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

यह घटना शिक्षा जगत में अनुशासन और नियमों के नाम पर हो रहे अत्याचारों की ओर एक गंभीर संकेत है, जो समाज के लिए एक चेतावनी है कि अब बदलाव की आवश्यकता है।

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