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लखनऊ

यूपी में भाजपा के खराब प्रदर्शन की वजह ; ओवर कन्फिडेंस या प्रत्याशियों की नाराजगी? 

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

लखनऊ: लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की कुर्सी पर बैठने का सपना देख रहे नरेंद्र मोदी को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में लगता नजर आ है। 4 जून को काउंटिंग के दौरान रुझान में भाजपा को तगड़ा नुकसान हुआ है। 

अभी तक के आंकड़े पर नजर डालें तो बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए को 35 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। वहीं समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के खाते में 45 सीटें आ रही हैं। इनमें सपा को 37 और कांग्रेस को 8 सीटों पर बढ़त हासिल है। बहरहाल कई सीटों पर मुकाबला तगड़ा चल रहा है। 

जो बीजेपी राज्य में 80 की 80 सीटें जीतने का दावा कर रही थी, उसके लिए सीटों में गिरावट काफी अप्रत्याशित लग रहा है। सबकी जुबान पर सवाल है कि आखिर वोटबैंक खिसकने के पीछे क्या वजह रही। यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या ओवरकॉन्फिडेंस बीजेपी को ले डूबा। आइए एक बार नजर डालते हैं।

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लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के वोटिंग पैटर्न में बड़ा बदलाव नजर आया है। भाजपा को बड़े स्तर पर नुकसान होता नजर आ रहा है। भाजपा को 30 से अधिक सीटों का नुकसान होता दिख रहा है। वहीं, सपा और कांग्रेस को इस बार खूब बढ़त मिलती दिख रही है। इंडिया गठबंधन की रणनीति बेहतर तरीके से जमीन पर उतरती दिखी। वहीं, भाजपा के पक्ष में माहौल बनता नहीं दिख पाया।

खास वजह तो समझ लीजिए-

उत्तर प्रदेश में बीजेपी के प्रति मोहभंग के सबसे बड़े कारण में से एक प्रत्याशियों से नाराजगी है। लगभग हर सीट पर यही स्थिति रही कि पार्टी के प्रत्याशी के विरोध की स्थिति रही। लोग यही कहते नजर आए कि आखिर कब तक मोदी जी के नाम पर ही कैंडिडेट्स को जीत दिलाते रहेंगे। बीजेपी के अधिकांश सांसदों और स्थानीय नेताओं के ख़िलाफ़ बहुत ग़ुस्सा है।

बीएसपी के वोटबैंक में मामूली गिरावट है लेकिन वो बीजेपी को नहीं जा रहा। दलित मतदाता पूरी तरह से समाजवादी पार्टी के गठबंधन के पक्ष में लामबंद हो गए हैं। बीजेपी का ठीक-ठाक वोटबैंक सपा कांग्रेस को मिल गया है। वहीं यादव और मुसलमान वोटर्स भी एकमुश्त गठबंधन के पक्ष में ही रहा। ऐसी स्थिति में उसे 30 सीट का नुक़सान हो गया है।

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जनता में पीएम मोदी के लिए प्रति ग़ुस्सा नहीं है, बल्कि उदासीनता है। उन्हें राशन का श्रेय मिलता है लेकिन इस बार उनके नाम पर वोट पड़ता नजर नहीं आया है। यहां मोदी की तुलना में योगी ज़्यादा लोकप्रिय नजर आए हैं। उन्हें गुंडागर्दी ख़त्म करने का श्रेय मिलता है।

वोटर के मन में महँगाई और बेरोज़गारी को लेकर हताशा है। तैयारी कर रहे युवाओं में भी बेचैनी है। गाँवों में छुट्टे जानवर भी सबसे बड़ा मुद्दा हैं। बीजेपी के वोटर में एक चौथाई कहते हैं कि इस बार उसे वोट नहीं देंगे। सपा और कांग्रेस का वोट क़ायम है।

एक वजह यह भी है कि बहुत वोटर परिवर्तन चाहते हैं। कई लोगों का ऐसा मानना है कि चूंकि अगर तीसरी पंचवर्षीय में भी आ गए तब तो तानाशाही शुरू हो जाएगी।

बीजेपी नेतृत्व ने 2024 के रण को कुछ ज्यादा ही हल्के में ले लिया। खबर लिखे जाने तक आए सभी 543 सीटों के रुझानों में एनडीए सरकार बहुमत के आंकड़े को पार कर चुकी है। रुझानों में एनडीए 270 सीटों पर आगे है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि रुझानों में इंडिया गठबंधन जोरदार टक्कर दे रहा है। कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन अब तक 251 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।

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