टिक्कू आपचे की रिपोर्ट
वो महज 8वीं क्लास तक पढ़ा था। 9वीं में फेल हुआ तो पढ़ाई छोड़कर घर बैठ गया। घरवालों ने कहा, कुछ काम-धंधा करो, ऐसे खाली बैठने से कब तक चलेगा। कुछ दिन बाद उसे इलेक्ट्रॉनिक कचरे को अलग करने वाली एक कंपनी में नौकरी मिल गई। लेकिन, काम में उसका मन नहीं लगता था। वो जल्द से जल्द रईस बनने के सपने देखता था। उसकी हरकतों पर मां-बाप ने टोका तो घर छोड़कर निकल आया। परिवार को लगा कि शायद अलग होकर कुछ अच्छा करेगा, लेकिन तीन महीने बाद ही उसके बारे में ऐसी खबर सुनने को मिली कि हर किसी के होश उड़ गए।
ये कहानी है एक ऐसे नटवरलाल की, जिसके काले कारनामे सुनकर बड़े-बड़े हैरान हैं। प्रफुल गोविंद पाटिल नाम का ये शख्स महाराष्ट्र के पलवेल में तलोजा इलाके के टोंडारे गांव का रहने वाला है। तीन महीने पहले जब गोविंद ने घर छोड़ा, तो एक दिन उसकी नजर दिल्ली की एक खबर पर पड़ी। खबर थी कि कैसे एक छोटा सा सेटअप बनाकर कुछ लोग नकली नोट छाप रहे थे। इसके बाद गोविंद ने नौकरी छोड़ दी। उसने इंटरनेट और यूट्यूब पर कुछ वीडियो खंगाले और नकली नोट छापने के लिए एक सेटअप तैयार कर लिया। उसकी प्लानिंग कम मूल्य के नकली नोट छापने की थी, ताकि वो पकड़ा ना जाए।
अब गोविंद ने अपना काला धंधा जमाने के लिए कुछ जरूरी सामान खरीदा। नोटों की फोटोकॉपी करने के लिए उसने कॉटन पेपर का इस्तेमाल किया। हर नोट पर सुरक्षा निशान के तौर पर जो हरे रंग की पट्टी होती है, उसे बनाने के लिए गोविंद ने कटर की मदद से स्पार्कल सेलो टेप को काटा और उसे वहां चिपका दिया। इसके बाद वो नोटों को लोहे के एक बॉक्स का इस्तेमाल करके दबाता था। आम आदमी के लिए उसके नकली नोट की पहचान करना मुश्किल था। लेकिन, अगर कोई ध्यान से चेक करता तो इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। हालांकि, आम तौर पर कम मूल्य के नोटों को लोग चेक नहीं करते।
10,000 रुपये में 1 लाख रुपये के नकली नोट
उसका ये धंधा तीन महीनों तक ठीकठाक चलता रहा। वो अपने पास आने वाले ग्राहकों को 10,000 रुपये में 1 लाख रुपये के नकली नोट बेचता था। पकड़े जाने से बचने के लिए उसने 10, 20, 50 और 100 रुपये के नकली नोट बनाए। उसके पास नकली नोटों को बाजार में चलाने के लिए कोई बड़ा सिंडिकेट या एजेंट नहीं था। इसलिए वो केवल उन्हीं लोगों को नकली नोट बेचता, जिन्हें वो निजी तौर पर जानता था। लेकिन, कहते हैं ना कि मुजरिम कितना ही शातिर क्यों ना हो, एक ना एक दिन पकड़ा ही जाता है।
ऐसे पुलिस के जाल में फंसा गोविंद
एक दिन पुलिस के हाथ उसका छापा गया एक नकली नोट लगा। नोट की बनावट देखकर पुलिस के अफसर भी हैरान रह गए। बेहद शातिर तरीके से ये नोट तैयार किए गए थे। पुलिस ने अब इन नोटों को छापने वाले सरगना को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। इधर गोविंद भी ज्यादा मुनाफा कमाने के सपने देख रहा था और इसी लालच में आकर पुलिस के जाल में फंस गया। क्राइम ब्रांच की टीम ने टोंडारे गांव में उसके घर पर छापा मारा और 2.03 लाख रुपये के नकली नोटों के साथ उसे गिरफ्तार कर लिया। साथ ही नकली नोट छापने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री भी जब्त की गई।
100 रुपये के 33 नोट और 200 रुपये के 856 नोट जब्त
पुलिस ने गोविंद के घर से 50 रुपये के 574 नोट, 100 रुपये के 33 नोट और 200 रुपये के 856 नोट जब्त किए हैं। साथ ही पुलिस अब उन लोगों को तलाश रही है, जिन्होंने उससे नकली नोट खरीदे। प्रफुल गोविंद पाटिल के ऊपर पुलिस ने आईपीसी की धारा 489 ए, 489 बी, 489 सी और 489 डी के तहत मुकदमा दर्ज किया है। फिलहाल कोर्ट ने गोविंद को 20 मई तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."