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अपनी जन्मभूमि से बाहर नहीं जाएंगे रामलला, सुरक्षा कारणों से कार्यक्रम में हुआ भारी बदलाव, पढिए पूरी खबर

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा से पहले निकलने वाली शोभायात्रा स्‍थगित कर दी गई है। यह शोभायात्रा 17 जनवरी को निकलने वाली थी। सुरक्षा वजहों से यह निर्णय लिया गया है।

प्राण प्रतिष्‍ठा समारोह की तैयारियों से जुड़े लोगों ने बताया कि राम लला की नई मूर्ति की शोभा यात्रा अब 17 जनवरी को पूरे अयोध्या शहर में नहीं निकाली जाएगी। सुरक्षा एजेंसियों की सलाह पर मंदिर ट्रस्ट ने इसे रद्द कर दिया है। ट्रस्ट 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले होने वाले कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में उसी दिन राम जन्मभूमि (आरजेबी) परिसर के अंदर नई मूर्ति के दौरे की व्यवस्था करेगा। राम मंदिर ट्रस्ट ने अभिषेक समारोह के तहत 16 जनवरी से अयोध्या में सात दिवसीय विशेष अनुष्ठान की घोषणा की थी।

मंदिर के शिखर पर लगने वाला ध्‍वज दंड पहुंचाकाशी जैसी भव्य होगी सरयू आरतीदर्शन के बीच रामलला को मिलेगा आराम, लगेगा भोगगज दर्शन, गौ-दान की होगी प्रक्रिया। 

16 जनवरी को सरयू के तट पर मंदिर ट्रस्ट द्वारा नियुक्त ‘यजमान’ द्वारा प्रायश्चित अनुष्ठान के बाद, अगले दिन राम लला की नई मूर्ति के साथ अयोध्या शहर में एक जुलूस निकाला जाना था। उधर, श्रीरामजन्‍मभूमिू ट्रस्‍ट और मंदिर निर्माण समिति की बैठक के बाद ट्रस्‍ट के एक सदस्‍य ने मीडिया को बताया कि 12 जनवरी तक मंदिर निर्माण स्‍थल पर भूतल का काम पूरा हो जाएगा। उन्‍होंने बताया कि मंदिर में लाइटिंग का काम पूराहो गया है।

मंदिर के शिखर पर लगने वाला ध्‍वज दंड पहुंचा

उधर, राममंदिर के शिखर पर लगने वाला ध्‍वज दंड अहमदाबाद से चलकर सोमवार को अयोध्‍या पहुंच चुका है। इस ध्‍वज को गुजरात में तैयार किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार इसे पीतल के धातु से बनाया गया है। इसे बनाने में दो साल लगे। इसकी लम्‍बाई 44 फिट है। ध्‍वज जमीन से 220 फीट की ऊंचाई पर लहराएगा। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 22 जनवरी को ध्‍वज दंड में धर्म ध्‍वज लगाएंगे।

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काशी जैसी भव्य होगी सरयू आरती

भगवान शिव की नगरी काशी में जिस भव्यता के साथ मां गंगा की आरती होती है, उसी भव्यता के साथ अयोध्या में सरयू आरती भी होगी। इसके लिए काशी से दो प्रकांड विद्वान अयोध्या बुलाए जाएंगे। 

यह बातें पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहीं। वह अयोध्या में चल रही तैयारियों को लेकर सोमवार को पर्यटन भवन में विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। जयवीर सिंह ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट अयोध्याधाम के सामने महर्षि वाल्मीकि की रामायण लिखते हुए मूर्ति लगेगी चूंकि भगवान राम सूर्यवंशी थे, इसलिए अयोध्या में भगवान सूर्य की भी मूर्ति लगेगी। प्रयास किया जा रहा है कि दोनों मूर्ति 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा से पहले लगाई जाएं। उन्होंने कहा कि अयोध्या में संध्या मंच पर देश के प्रसिद्ध भजन गायकों द्वारा प्रभु श्रीराम पर आधारित भजन गाया जाएगा। अनूप जलोटा, साधो बैंड, प्रेम प्रकाश दुबे, बतूल बेगम, नितिन दुबे, रिचा शर्मा, तृप्ति शाक्या समेत कई अन्य गायक भजन सुनाएंगे। 14 जनवरी से ही मंदिरों में भजन-कीर्तन और रामायणपाठ शुरू हो जाएगा। प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने कहा कि अयोध्या विश्व की सुंदरतम नगरी के रूप में विकसित हो रही है।

दर्शन के बीच रामलला को मिलेगा आराम, लगेगा भोग

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रामलला के सुकुमार रूप और चक्रवर्ती नरेश महाराज दशरथ के पुत्र के रूप में उनके वैभव और ऐश्वर्य को देखते हुए सेवा की तैयारी की जा रही है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद वैभव तो दिखेगा ही, माता के वात्सल्य की छाया भी उन पर बनी रहेगी। उनकी आराधना के लिए इसी हिसाब से तैयारी की जा रही। इसके तहत रामलला की छह बार आरती की जाएगी।

रामलला की पूजा की विधि पर विचार के दौरान तय किया गया कि भगवान बाल रूप में रहेंगे, इसलिए उनकी पूजा का विधि-विधान भी वैसा ही होना चाहिए। बालक के अनवरत बैठे रहकर दर्शन देना अनुचित है। बीच-बीच में रामलला को विश्राम दिया जाए। 15-15 मिनट के लिए पर्दा डालकर मिष्ठान, फल का भोग भी लगे। महंत मिथिलेश कहते हैं कि हमें एक किशोर की वृत्ति को समझना पड़ेगा। इसके साथ दर्शन का क्रम शुरू होगा। मध्याह्न में राजभोग आरती, अपराह्न में पट बंद विश्राम,फिर उत्थापन आरती होगी।

गज दर्शन, गौ-दान की होगी प्रक्रिया

आचार्य श्रीशरण बताते हैं कि दिन के 24 घंटे में रात्रि दस से भोर में छह बजे तक भगवान के विश्राम/ शयन की अवधि होगी। इसके बीच में 16 घंटे में अष्टयाम सेवा प्रति दो-दो घंटे के लिहाज से विभाजित की गई है। इसी बीच भगवान की छह आरतियों का विधान किया गया है। अभी विराजमान रामलला की चार बार आरती की जाती है, जिनमें से तीन आरती के दौरान रामलला का दर्शन भी श्रद्धालुओं को मिलता है। उन्होंने बताया कि छह आरतियों में सुप्रभातम के गान से भगवान को जगाया जाएगा। इसके बाद गज-दर्शन व गौ-दान कराया जाएगा। फिर बाल भोग के साथ उनकी मंगला आरती होगी। इसके अनंतर भगवान का अभिषेक कर उनका श्रृंगार कर श्रृंगार आरती की जाएगी।

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Author: samachardarpan24

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