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लखनऊ

प्रदेश में राम भरोसे कांग्रेस… राहुल प्रियंका ने क्यों बनाई यूपी से दूरी? पढिए पूरी खबर को

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आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव 2024 अब ज्यादा दूर नहीं है। कांग्रेस को अगर केंद्र की सत्ता में वापसी करनी है तो उसे यूपी में खुद अपने पैरों पर खड़ा होना ही होगा। बीते सोमवार दिल्ली में AICC के प्रमुख नेताओं के साथ यूपी कांग्रेस के चीफ अजय राय की मीटिंग हुई। मीटिंग में AICC ने यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों का जायजा लिया।

इस मीटिंग में यूपी कांग्रेस के नेताओं ने सेंट्रल लीडरशिप के सामने दो बड़ी समस्याओं को उठाया। यूपी कांग्रेस ने सेंट्रल लीडरशिप से मांग की कि पहले की तरह गांधी परिवार यूपी में एक्टिव रोल निभाए। इसके अलावा मीटिंग में सपा के साथ सीट शेयरिंग में ‘उचित हिस्से’ को लेकर भी चिंता जताई गई। यूपी कांग्रेस की यह मांग इसलिए भी वाजिब है क्योंकि हाल ही में आए चुनाव परिणाम में कांग्रेस को एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हार का सामने करना पड़ा है और अखिलेश सीट शेयरिंग के सवाल पर आक्रामक नजर आ रहे हैं।

यूपी कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि सेंट्रल लीडरशिप से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के राज्य में शुरू होने जा रही ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में एक्टिव रोल का निवेदन किया गया है। सेंट्रल लीडरशिप ने कहा है कि उनके निवेदन पर विचार किया जाएगा।

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पिछले कुछ महीनों से ऐसा महसूस किया जा रहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी यूपी कांग्रेस की सियासत से दूर हैं, जिस वजह से राज्य के नेताओं का मानना है कि शायद उन्हें खुद लोकसभा चुनाव 2024 का कैंपेन संभालना पड़े।आपको बता दें कि दशकों तक यूपी कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति की आधारशिला रहा है। यहां गांधी परिवार के सदस्य या तो राज्य में विभिन्न चुनावों में नेतृत्व करते नजर आते थे या चुनाव लड़ते थे। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ही नहीं, सोनिया गांधी ने भी चुनाव लड़ने के लिए 1999 में अमेठी को चुनाव, उनके बाद राहुल गांधी ने भी 2004 में अमेठी से शुरुआत की।

2017 में राहुल गांधी ने की ‘खाट सभाएं’

इसके बाद राहुल गांधी ने यूपी में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में भी बड़ा रोल निभाया। 2017 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने यूपी में ‘खाट सभाएं’ की थीं। इस चुनाव में कांग्रेस ने पहले शीला दीक्षित को आगे किया फिर सपा से गठबंधन करने का फैसला किया। हालांकि उन्हें बीजेपी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

साल 2019 से यूपी में प्रियंका गांधी एक्टिव हुईं। उन्हें पूर्व यूपी के लिए AICC जनरल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया। उन्होंने 2022 चुनाव से पहले यूपी में जमकर प्रचार किया। तब कांग्रेस का कैंपेन थीम ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ था और प्रियंका गांधी इसे लीड कर रही थीं। हालांकि इस चुनाव में भी कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा। 

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यूपी में सेल्फ मोटिवेटेड लीडर्स की कमी

पिछले कुछ महीनों से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी यूपी कांग्रेस के किसी भी कार्यक्रम में नजर नहीं आए हैं। इस साल जनवरी में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा यूपी के एक छोटे से हिस्से से होकर गुजरी थी। सूत्रों का कहना है कि AICC की मीटिंग में राहुल गांधी ने कहा कि यूपी में ‘सेल्फ मोटिवेटेड लीडर्स’ की कमी है। उन्होंने तेलंगाना का जिक्र करते हुए कहा कि वहां पार्टी यूनिट ने लंबे समय सत्ता से बाहर रहने के बाद भी सत्ता में लौटने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी।

सूत्र ने बताया कि जब मीटिंग खत्म होने जा रही थी, तब राहुल गांधी ने कहा कि यूपी की प्रॉब्लम ये है कि वहां तीन ऐसे नेता नहीं हैं, जो सीएम बनने की महत्वकांक्षा रखते हों और उस दिशा में मेहनत कर रहे हों। उन्होंने तेलंगाना की बात करते हुए कहा कि वहां चार नेता थे, जो सीएम बनना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने मेहनत की और पार्टी कार्यकर्ताओं ने जीत की जमीन तैयार की।

यूपी कांग्रेस खुद भी अस्पष्ट

एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा कि यूपी कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि गांधी परिवार ही राज्य में कैंपेन की लीड करेगा लेकिन उन्हें नहीं पता कि ये लोकसभा चुनाव 2024 में कितना एक्टिव रहेंगे। उन्होंने कहा कि कई लीडर्स ने कहा कि मुस्लिम समाज कांग्रेस पार्टी की तरफ देख रहा है लेकिन पार्टी को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि वो सपा से सीट शेयरिंग में मिलने वाली सीटों पर मजबूत प्रत्याशी उतारे। मीटिंग में कुछ को लगा कि वो बीएसपी के साथ जा सकते हैं लेकिन उन्हें बताया गया कि मायावती के साथ कोई बातचीत नहीं हुई है।

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Author: samachardarpan24

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