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करतलबांदा

“संकल्प” के साथ जब “समर्पण” हो तो ऐसे ही नज़ीर पैदा होते हैं, खबर आपको बहुत कुछ सिखाएगी

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सन्तोष कुमार सोनी की रिपोर्ट

करतल। जब किसी भी इंसान में कुछ कर गुजरने का “जज्बा” हो तो वह अन्य लोगों से कुछ अलग करने के मकसद से अपना सबकुछ कुर्बान कर कुछ ऐसी “नजीर” पेश कर देता है कि उसे देखकर लोग आश्चर्यचकित होकर दांतों तले उगलियां दबाने पर मजबूर दिखाई देते हैं।

कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला बांदा जनपद के ब्लॉक नरैनी की ग्राम पंचायत कल्यानपुर के अन्तर्गत अति पिछड़े बीहड़ क्षेत्र ग्राम प्रतापपुर के प्राथमिक विद्यालय में। यहाँ पर विगत 1 दिसम्बर 2016 को स० अ० के पद पर  नियुक्त होकर आये रमाशंकर त्रिपाठी ने जब विद्यालय में कदम रखा तो विद्यालय की दुर्दशा देख उन्हें बड़ी अजीब सी घुटन महसूस हुई। जगह जगह ऊबड़ खाबड़ खड्डे, क्षत विक्षत प्रांगण, पुताई विहीन विद्यालय भवन आदि आदि।  किन्तु नौकरी तो करनी ही थी‌ ।

बहरहाल प्र० अ०के स्थानांतरण के पश्चात इन्होंने इंचार्ज का पद सम्भाला और इसे “खूबसूरत बनाने” का संकल्प लेते हुये प्रातः 5-6 बजे से फावड़ा उठाते हुये स्कूल के शिक्षण कार्य के 1 घण्टे पहले तक स्वयं कठोर मेहनत  करना प्रारंभ किया। सारे प्रांगण का “समतलीकरण” कर तरह तरह के पौधे लगाना चालू किया। किन्तु उनके सामने पानी की समस्या खड़ी हुई क्योंकि “लापरवाह विद्युत विभाग” ने कनेक्शन के नाम पर पोल लगाकर ट्रान्सफार्मर भी लगाया और सिस्टम बाज “लाइनमैनों” ने उसे ही गायब कर दिया।  फिर भी त्रिपाठी जी ने हार नहीं मानी। विद्यालय से दूर लगे नल के माध्यम से 4-4 घंटे बाल्टियों से पानी ढो ढोकर आज स्कूल के चारों तरफ बहुत ही “खूबसूरत गार्डन” तैयार किया।

यहाँ पर लगभग 7वर्ष गुजर जाने के बाद आज विद्युत ब्यवस्था के अभाव के बावजूद भी इन्होंने बहुत ही सुन्दर तरीके से पेड़ पौधे लगाकर चारों तरफ “हरियाली” ला दी है।

विद्यालय की साफ सफाई , पुताई के साथ साथ दीवारों पर बनी ज्ञानवर्धक कलाकृतियों से अलंकृत विद्यालय भवन, सुव्यवस्थित तरीके से बनी क्यारियों में लगाये गये पौधों के अलावा सुरक्षा हेतु लोहे सेबनाये गये सुरक्षाकवच के बीच हरे भरे पौधों से सुसज्जित यह विद्यालय आज बहुत ही रमणीक नजर आ रहा है। 

सबसे बड़ी विडम्बना के साथ धिक्कार है ऐसे विद्युत विभाग को जिससे बार बार अनुरोध करने के बावजूद भी अभी तक ट्रान्सफार्मर नहीं लगाने से इस सुन्दरता को बरकरार रखने के लिये आज भी प्र०अ० रमाकांत को प्रातःकाल एवं संध्या काल में प्रतिदिन दोनों समय 300 से 400 बाल्टी पानी स्वयं बाहर लगे नल से लाकर पौधों में डालना पड़ता है ताकि इसकी हरियाली सलामत रहे जिसे हम एक मिशाल  कहें तो शायद कोई अतिशयोक्ति नही होगी! 

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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