उत्तर प्रदेश के करतल क्षेत्र में अवैध खनन माफियाओं की दबंगई सामने आई है। पत्रकार सुशील मिश्रा के खेत से जबरन रास्ता बनाकर बालू परिवहन किया गया। विरोध करने पर उन्हें जान से मारने की धमकी मिली, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
सोनू करवरिया की रिपोर्ट
करतल (बांदा), उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के करतल क्षेत्र में खनन माफियाओं की दबंगई इस कदर बढ़ गई है कि अब वे पत्रकारों तक को निशाना बनाने से नहीं हिचक रहे हैं। हाल ही में ग्राम पुकारी से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां अवैध बालू खनन में संलिप्त माफियाओं ने अपने ट्रैक्टरों के आवागमन के लिए पत्रकार सुशील कुमार मिश्रा के निजी खेत से जबरन रास्ता बना लिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, रंज नदी के किनारे अवैध खनन का कार्य धड़ल्ले से जारी है। क्षेत्रीय पुलिस चौकी की आंखों के सामने यह सारा गैरकानूनी काम हो रहा है, जिससे यह अंदेशा और पुख्ता होता है कि माफियाओं और पुलिस के बीच मजबूत गठजोड़ है। इसी गठजोड़ के बलबूते पर खनन माफिया बेखौफ होकर दिन-रात बालू की अवैध ढुलाई कर रहे हैं।
इस दौरान जब पत्रकार सुशील मिश्रा को अपने खेत में हो रहे नुकसान की जानकारी मिली, तो वे मौके पर पहुंचे और रास्ता बनाने का विरोध किया। विरोध करना माफियाओं को इतना नागवार गुज़रा कि उन्होंने पत्रकार को खुलेआम जान से मारने की धमकी दे डाली। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे “उन्हें निपटा देंगे।”
इसके तुरंत बाद पत्रकार ने पूरे मामले की मौखिक सूचना क्षेत्रीय पुलिस चौकी करतल को दी, लेकिन चौकी प्रभारी ने इस गंभीर शिकायत को नजरअंदाज कर दिया। पुलिस की इस उदासीनता से यह साफ जाहिर होता है कि माफिया अब कानून से ऊपर महसूस करने लगे हैं और उनकी दबंगई बेलगाम हो गई है।
यह घटना न केवल पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे पुलिस-प्रशासन की चुप्पी ने अपराधियों को और अधिक निरंकुश बना दिया है। यदि समय रहते प्रशासन ने इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की, तो आने वाले समय में ऐसी घटनाएं और अधिक भयावह रूप ले सकती हैं।