google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
आज का मुद्दा
Trending

‘गायित कुछ है, हाल कुछ है, लेबिल कुछ है, माल कुछ है’ ; मोदी का शायराना तंज वीडियो ? में देखिए किस पर है ?

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट 

लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को बेंगलुरु में चल रहे विपक्षी दलों के गठबंधन की बैठक पर ‘गायित कुछ है, हाल कुछ है, लेबिल कुछ है, माल कुछ है‘ शायरी के जरिए जोरदार हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में देश में हमारी सरकार को वापस लाने का लोगों ने मन बना लिया है। बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक पर हमलावर पीएम मोदी ने कहा कि भारत की बदहाली के जिम्मेदार कुछ लोग अपनी दुकान खोलकर बैठ गए हैं। इस मामले में उन्होंने इस कविता का जिक्र करते हुए कहा कि 24 के लिए 26 होने वाले दलों पर ये पंक्तियां फिट बैठती हैं।

अवधी भाषा के चर्चित शायर रफीक शादानी की कविता की ये पंक्तियां हैं। इसमें शायर ऐसे लोगों पर तंज करते हैं, जो अपनी बातों पर कभी भी टिके नहीं रहते हैं। उनकी फितरत बदलती रहती है। पीएम मोदी ने विपक्षी दलों की एकजुटता पर ऐसे ही तंज कसा है। पीएम मोदी इस शायरी के जरिए अवध क्षेत्र को साधने की कोशिश करते दिख रहे हैं। यूपी में जिस प्रकार से मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश की जा रही है, उसमें भी पीएम मोदी की इस शायरी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

पीएम मोदी ने अपने भाषण में जिस शायरी का जिक्र किया है, उसके काफी गूढ़ अर्थ हैं। शायर में इसमें लोगों की फितरत पर तंज कसता हुआ है कि कुछ लोग बोलते (गायित) कुछ है। जो वे बोलते हैं, उससे उनकी स्थिति अलग होती है। जिस प्रकार की बात करते हैं और उनकी स्थिति होती है, उससे इतर वे उस चीज को दिखाने की कोशिश करते हैं। मतलब, लेबल देखकर आप उनकी स्थिति का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। इन सबके बाद जो माल यानी परिणाम होता है, वह अलग ही होता है। पीएम मोदी भिन्न-भिन्न विचारधाराओं वाले और एक-दूसरे के साथ कई स्थानों पर भिड़ने वाले राजनीतिक दलों के जुटान पर यह तंज कसा है।

इसे भी पढें  पेपर लीक मामले के बड़े खिलाड़ी बेदी राम… सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर के साथ इनकी क्यों हो रही है तेज चर्चा? 

कौन हैं रफीक शादानी?

रफीक शादानी का जन्म 1934 में रंगून में हुआ था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रंगून में भगदड़ मची। रफीक शादानी के पिता को परिवार के साथ रंगून छोड़ना पड़ा। अपना घर, कारोबार, जमीन-जायदाद, सब छोड़कर रफीक के पिता रंगून से निकले तो उनका अगला ठिकाना अयोध्या था। मुमताजनगर गांव में आकर बसे। 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले रफीक शादानी ने यहां काम करके घर चलाना शुरू किया। परिवार का पेट भरना उनकी प्राथमिकता थी।

रफीक ने बाद में अवधी भाषा में शायरी करनी शुरू कर दी। उनकी शायरी में ताजा स्थिति पर व्यंग लोगों ने खूब पसंद किया। जैसे-जैसे उनकी कविताओं ने रंग जमाना शुरू किया, रफीक मुशायरों की पहली पसंद बनने लगे। उनकी शायरी को आज भी खूब पसंद किया जाता है। 9 फरवरी 2010 को बहराइच में हुए रोड एक्सिडेंट में रफीक शादानी का निधन हो गया।

खूब चर्चा में रही शायरी

रफीक शादानी की शायरी खूब चर्चा में रही है। 2005 में जब अयोध्या में रामलला के मंदिर के ढांचे पर हमला हुआ तो शफीक ने शायरी पढ़ी थी। उन्होंने मंच से शायरी पढ़ी,

इसे भी पढें  खाने पीने के मामले में सरकारी सतर्कता पर मचा बवाल, आखिर क्यों? क्या है नया नियम? 

रामलला पर फेकै आए, कुछ लोगै हथगोला। उनइ के हथवन में, दग्गा हो गए उड़नखटोला। यहकी खातिर करो जिहाद, मिटे विश्व से आतंकवाद। पाक के नालायक औलाद, तोसे तो अच्छे जल्लाद। बड़े बहादुर बनत हौ बेटा, आए के देखो फैजाबाद।’

इसका अर्थ यह हुआ कि रामलला पर कुछ लोग हथगोला फेंकने आए। उनके ही हाथ में गोला फट गया और अल्लाह को प्यारे हो गए। शफीक ने कहा कि विश्व से आतंकवाद मिटाने के लिए जिहाद करो। पाकिस्तान के नाजायज औलादों तुमसे अच्छे तो जल्लाद हैं। इतने ही बहादुर हो तो फैजाबाद आकर दिखाओ।

शफीक ने अपनी शायरी में नेताओं और मंदिर-मस्जिद के मु्द्दे पर करारा हमला बोला था। उन्होंने एक शायरी पढ़ी, ‘मंदिर मस्जिद बनै न बिगडै़, सोन चिरैया फंसी रहै। भाड़ में जाए देश की जनता, आपन कुर्सी बची रहै।’ इसका अर्थ यह हुआ कि मंदिर-मस्जिद के झगड़े में सोनचिरैया यानी भारत फंसा रहे। देश की जनता भाड़ में जाए नेताओं की कुर्सी बची रहनी चाहिए। एक अन्य शायरी में उन्होंने कहा, ‘ई महंगाई ई बेकारी, नफरत कै फैली बीमारी। दुखी रहै जनता बेचारी, बिकी जात बा लोटा-थारी। जियौ बहादुर खद्दर धारी!’ इसका अर्थ यह है कि देश में नफरत की बीमारी फैली हुई है। महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है। जनता दुखी है। लोटा-थाली तक बिकने की नौबत आ गई है। नेताओं पर गहरा तंज वे कसते थे।

89 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

इसे भी पढें  मोदी की 2014 में जहाँ हुई थी चाय पे चर्चा वहाँ पढिए इस बार क्या हो रही कुचर्चा? 

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close