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अंतरराष्ट्रीयनेपाल

नेपाल में अचानक हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम का असर भारत-नेपाल संबंध के लिए अच्छा नहीं हो सकता

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मिश्रीलाल कोरी की रिपोर्ट 

काठमांडू : लंबी राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहे नेपाल को एक बार फिर नया प्रधानमंत्री मिल गया है। नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की नियुक्ति के बाद सोमवार को पुष्प कमल ‘प्रचंड’ ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। नेपाल में लोकतंत्र को आए हुए अभी 14 साल ही हुए हैं। देश की कमान पर हिंदू राजतंत्र के खिलाफ एक दशक तक खूनी विद्रोह करने वाले पूर्व माओवादी गुरिल्ला और ‘प्रचंड’ के नाम से लोकप्रिय पुष्प कमल दहल के हाथ में है। वह तीसरी बार इस गद्दी पर बैठे हैं। नेपाल में यह बड़ा राजनीतिक बदलाव इसलिए चर्चा में है क्योंकि 275 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के सिर्फ 32 सांसद हैं।1990 के दशक में एक दौर आया जब ऐसी ही स्थिति भारतीय राजनीति में भी बन गई थी।

प्रचंड को समर्थन देने वाले नेपाल के पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनाइटेड मार्क्सवादी लेनिनवादी) के पास 78 सीटें हैं। नेपाल में पिछले महीने हुए चुनाव में प्रचंड और नेपाली कांग्रेस एक साथ थे। इन चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामन आई नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीटें हैं लेकिन आज वह सत्ता से बाहर हैं जबकि सबसे कम सीटों वाले प्रचंड नेपाल के प्रधानमंत्री हैं। नेपाल में सत्ता परिवर्तन के बीच भारतीय जनता पार्टी के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन का 1997 में लोकसभा में दिया एक भाषण जमकर वायरल हो रहा है।

जब भारत में 13 दलों के समर्थन से बनी सरकार

इसमें वह देवगौड़ा सरकार पर तंज कसते नजर आ रहे हैं। एच. डी. देवगौड़ा 1 जून 1996 को भारत के प्रधानमंत्री बने थे। तब उनकी पार्टी जनता दल के पास सिर्फ 46 सीटें थे। ‘संयुक्त मोर्चा’ नामक उस सरकार को 13 राजनीतिक दलों का समर्थन मिला हुआ था। प्रमोद महाजन ने देवगौड़ा सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में मैं जब चीन गया तो वहां हमसे पूछा गया कि भारत में लोकतंत्र कैसे काम करता है। मैंने उन्हें एक उदाहरण देकर भारत के लोकतंत्र के बारे में बताया।’

प्रमोद महाजन ने सुनाया किस्सा

महाजन ने कहा, ‘चीन के एक सांसद से मैंने कहा कि मेरा नाम प्रमोद महाजन है, मैं लोकसभा सांसद हूं और मेरी पार्टी संख्या बल में सदन की सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन हम विपक्ष में बैठते हैं। फिर मैंने पानीग्रही की ओर इशारा करते हुए कहा कि इनकी पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और यह सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। फिर मैंने एमए देवी को उठाते हुए कहा कि इनकी पार्टी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है और ये संयुक्त मोर्चा के सदस्य हैं लेकिन सरकार के बाहर हैं।’

महाजन से भाषण से गूंज उठे ठहाके

प्रमोद महाजन बोले, ‘फिर मैंने कहा कि यह रामाकांत खलप हैं। यह अपनी पार्टी के इकलौते सांसद हैं और यह सरकार में हैं।’ महाजन के इस भाषण पर सदन काफी देर तक ठहाकों से गूंजता रहा। देवगौड़ा जब प्रधानमंत्री बने तब वह संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। वह तब कनार्टक के मुख्यमंत्री थे। नेपाल को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सत्ता में कोई भी सरकार क्यों न आए, सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक नजदीकी के चलते नेपाल और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाए रखने की जरूरत है।

‘भारत के साथ अच्छे संबंध जरूरी’

भारत में नेपाल के राजदूत रह चुके नीलांबर आचार्य ने कहा कि नई सरकार को भारत के साथ सौहार्द्रपूर्ण संबंध बनाए रखने की जरूरत है, हालांकि हर शासन की कार्य शैली में अंतर हो सकते हैं। आचार्य ने कहा, ‘बेशक, भारत के साथ हमारी कुछ समस्याएं हैं और इस तरह के मुद्दे से निपटने की मौजूदा सरकार की शैली पूर्ववर्ती सरकार से अलग हो सकती है।’ उन्होंने कहा, ‘सीमा विवाद सहित इन सभी मुद्दों को राजनयिक माध्यमों से हल किए जाने की जरूरत है।’

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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