google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
अपराधखास खबर
Trending

आश्रम से जेल तक : सैकड़ों आश्रम, करोड़ों भक्त, रोज प्रवचन, इज्जत, नाम, शोहरत…अब सलाखों के पीछे…

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की खास रिपोर्ट 

चाहने वालों ने उसे क्या-क्या नहीं दिया! लेकिन उसने चुना वो रास्ता जिसकी मंजिल जेल थी। भक्त उसे भगवान मानकर पूजते थे, उसके एक-एक शब्द को पत्थर की लकीर माना जाता था। उसके अनुयायियों को उसपर विश्वास था, लेकिन जो घिनौने आरोप उसपर लगे, उसके बाद लोगों का विश्वास ही डगमगा गया। इन आरोपों के बाद खुद को संत कहने वाले इस शख्स की ज़िंदगी में ऐसा तूफान आया कि सालों बाद भी नहीं शांत हो पा रहा है।

आसाराम के अपराधी बनने की कहानी

ये कहानी है धर्म और आस्था को कारोबार बनाने वाले आसाराम बापू यानी असुमलन हरपलानी की। इसके दरबार में कभी देश के बड़े-बड़े नेता हाजिरी लगाया करते थे। इनके अनुयायियो में कई बड़े नेता, बॉलीवुड स्टार, बड़े बिजनसमेन और अन्य मशहूर शख्सियतें शामिल थीं। अब आशाराम की ज़िदगी जेल की कालकोठरी में बीत रही है।

रिहाई तो दूर की बात, जमानत तक नहीं मिलती है। कितनी ही बार सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई गई, लेकिन हर बार खारिज। बड़े से बड़े वकील ने आसाराम को बचाने के लिए केस लड़ लिया, लेकिन मामला वही- ढाक के तीन पात। 

आखिर ऐसा क्या हुआ जो एक संत देश का बड़ा अपराधी बन गया? आज हम आपको आसाराम की पूरी क्राइम कुंडली बताएंगे। हम आपको बताएंगे आसाराम से जुड़े हर काले किस्से को। हम आपको बताएंगे कैसे आसाराम का यह बड़ा साम्राज्य चंद सालों में पूरी तरह ढह गया।

पाकिस्तान में हुआ था जन्म

देश की आजादी से छह वर्ष पहले 1941 में सिंध प्रांत (अब पाकिस्तान) में असुमलन हरपलानी का जन्म हुआ था। चौथी क्लास तक पढ़ाई करने के बाद उसने स्कूल जाना छोड़ दिया। 1947 में बंटवारे के साथ भारत आजाद हुआ तो असुमलन हरपलानी या आसाराम का परिवार भारत आ गया। उसका पूरा परिवार गुजरात के अहमदाबाद में रहने लगा। 

आसाराम के पिता अहमदाबाद में ही कोयले और लकड़ी का व्यापार करते थे, लेकिन असुमलन का मन इसमें नहीं लगा। तांगा चलाना, साइकिल की दुकान में काम करने जैसे छोटे-मोटे काम किए, लेकिन आसाराम का सपना तो कुछ और था।

संत लीला शाह का अनुयायी होने का दावा

थोड़े समय बाद ही आसाराम ने कच्छ के एक संत लीला शाह बाबा के आश्रम जा पहुंचा। वो लीला शाह के अनुयायी होने का दावा करता रहा। हालांकि, यह भी दावा किया जाने लगा कि संत लीला शाह बाबा ने आसाराम को कभी अपना अनुयायी बनाया ही नहीं। खैर सच जो भी हो, आसाराम लंबे समय तक अपने दावे को ही सच बताकर पेश करता रहा। आसाराम के भक्तों के मुताबिक, लीला शाह के आश्रम में ही असुमलन का नया नामकरण किया गया और नाम पड़ा आसाराम बापू।

मोटेरा में बनाया पहला आश्रम

चमचमाते सफेद कपड़े, सफेद दाढ़ी, लोगों के बीच प्रवचन… आसाराम ने अहमदाबाद में खुद को संत बनाने की मुहिम सत्तर के दशक में ही शुरू कर दी थी। 

अहमदाबाद के मोटेरा में साबरमती नदी के किनारे आसाराम का पहला आश्रम बना। धीरे-धीरे लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हुई। पहले नए-नवेले गुरु के शिष्य बने आसापास के गरीब और पिछड़ी जाति के लोग। आश्रम में प्रवचन के बाद लोगों को प्रसाद के रूप में खाना बांटा जाता जिससे आसाराम के भक्तों की संख्या और बढ़ने लगी।

4 करोड़ से ज्यादा अनुयायी

कुछ सालों में ही गुजरात में आसाराम ने लोगों के बीच अपनी जगह बना ली। आश्रम में चढ़ावे के रूप में अच्छा पैसा आने लगा। गुजरात में ही आसाराम के नए आश्रम खुलने लगे। आसाराम की किताबें बिकने लगीं। इसके अलावा आश्रम में आने वाले लोगों को आश्रम में ही कई तरह की चीजें, जैसे अगरबत्ती, प्रसाद, गोमूत्र बेचा जाने लगा। 

जैसे-जैसे आसाराम की प्रसिद्धी बढ़ रही थी, वैसे-वैसे अनुयायियों की संख्या में भी तेज इजाफा हो रहा था। अब गुजरात से बाहर भी आसाराम के भक्त थे। नब्बे के दशक के आखिरी वक्त तक आसाराम के फॉलोवर्स में देश के कई बड़े नाम जुड़े चुके थे। न सिर्फ पूरे देश में बल्कि विदेशों में आसाराम के भक्तों की बड़ी संख्या थी।

आसाराम के पास अरबों की संपत्ति

भक्तों की तादाद बढ़ी तो आश्रम की कमाई भी कई गुना बढ़ने लगी। देश-विदेश में आसाराम के 400 से ज्यादा आश्रम खुल चुके थे। 

अब तक आसाराम एक ट्रस्ट बन चुका था जिसकी कमाई अरबों में थी। 2016 में आसाराम के ट्रस्ट की कमाई 10 हज़ार करोड़ से ज्यादा आंकी गई थी। आसाराम के आश्रम में गुरुकुल के नाम से स्कूल भी चलते थे जिनमें इनके भक्त अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजते थे। वहीं बच्चों के रहने खाने-पीने की व्यस्था होती थी। सैकड़ों बच्चे आसाराम के स्कूलों में पढ़ने लगे।

आश्रम के बच्चों की लाश मिली

2008 तक सबकुछ ठीक चलता रहा। सफेद चोले की आड़ में आसाराम अपने भक्तों को धोखा देते रहे, लेकिन 2008 में आसाराम के आश्रम से जुड़ी एक ऐसी खबर सामने आई जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। उस खबर से सबसे ज्यादा परेशान हुए आसाराम के अनुयायी। 

2008 में आसाराम के आश्रम में पढ़ने वाले दो बच्चों का शव साबरमती नदी से बरामद किया गया। गुजरात के ही रहने वाले दस साल के दो चचेरे भाइयों- अभिषेक वाघेला और दीपेश वाघेला का कुछ दिन पहले ही आसाराम के आश्रम में बने स्कूल में एडमिशन करवाया गया था, लेकिन दोनों की डेड बॉडीज अधजली हालत में नदी से मिलीं।

आसाराम पर लगे रेप के आरोप

इस केस की सीधी आंच तो आसाराम तक नहीं आई, लेकिन आसाराम ट्रस्ट के कुछ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। कुछ सालों तक सबकुछ वैसे ही चलता रहा, लेकिन साल 2013 आसाराम पर कहर बरप गया। 

उत्तर प्रदेश की एक लड़की के माता-पिता ने आसाराम पर रेप का आरोप लगाया। वो लड़की आसाराम के छिंदवाड़ा आश्रम में पढ़ाई करने गई हुई थी। लड़की की जांच हुई तो रेप की बात सच साबित हुई। आसाराम बापू का भी मेडिकल टेस्ट हुआ। पहली बार आसाराम बापू पर कोई केस दर्ज हुआ और वो भी बलात्कार का। आसराम को पूछताछ के लिए बुलाया गया। पूरे देश में आसाराम पर रेप के आरोपों की खबर सुर्खियां बन रही थीं। हर कोई हैरान था बाबा का सफेद कपड़ों के पीछे का काला रूप देखकर।

कई सालों तक चलता रहा केस

जोधपुर की अदालत में मामले की सुनवाई हुई। आसराम की तरफ से तमाम बड़े वकील अदालत में खड़े हुए, लेकिन सबूत आसाराम के खिलाफ थे। जिस लड़की ने मामला दर्ज करवाया था वो नाबालिग थी। इसी दौरान कई गवाहों पर हमले भी हुए, कई गवाहों का कत्ल कर दिया गया। कई सालों तक जोधपुर की विशेष अदालत में मामला चलता रहा। 

टेलीविजन, अखबार, मैग्जीन… हर जगह आसाराम का केस सुर्खियां बटोर रहा था। लोग इस मामले में अलग-अलग तरह से सोचने लगे। आसाराम के अनुयायी बेशक तब भी अपने बाबा के साथ रहे, लेकिन उनकी भक्तों की लिस्ट में शामिल बड़े नाम उनसे कन्नी काटने लगे।

बेटे पर भी हुआ मामला दर्ज

2016 में भी सूरत में रहने वाली दो बहनों ने आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। सूरत की एक अदालत में इसपर अब भी केस जारी है। 

एक के बाद एक आसाराम के काले चिट्ठे सामने आ रहे थे। ये खबरें आने लगीं कि आसाराम के आश्रम में तांत्रिक क्रियाएं होती हैं जिनके लिए ही 2008 में दो बच्चों का कत्ल किया गया था। हालांकि इस मामले में कुछ भी साफ नहीं हो पाया। 

इसके अलावा आसाराम पर आश्रम के नाम पर जबरन कई जमीनें हड़पने के भी आरोप लगे। ऐसा लग रहा था जैसे वो सालों से सफेद कपड़ों के पीछे न जाने कितने काले कारनामों को छुपाएं थे।

2018 में आसाराम को उम्र कैद

जोधपुर में चल रहे रेप के मामले में आखिरकार 2018 में आसाराम दोषी साबित हुए। जोधपुर की विशेष अदालत ने आसाराम को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई। 2018 से लेकर अब तक आसाराम बापू जोधपुर की जेल में बंद है। हालांकि आसाराम के अनुयायी अब भी उन्हें संत मानते हैं। आसाराम के आश्रम आज भी देश-विदेश में चल रहे हैं, लेकिन कानून की नज़र में अब आसाराम संत नहीं बल्कि नाबालिग से रेप करने वाला एक मुजरिम है

73 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close