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11 January 2025 12:16 pm

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लिपिक और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी ने मिलकर दिया करोड़ों के घोटाले को अंजाम, पढ़िए कैसे?

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

कानपुर,  गोविंद नगर थानाक्षेत्र के श्री मुनि इंटर कालेज में हुए करोड़ों के वेतन घोटाले के मामले में कर्नलगंज पुलिस ने कालेज के लिपिक अविनाश द्विवेदी और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बिहारीलाल को मंगलवार को टाटमिल चौराहे से पकड़ लिया। पुलिस ने इन्हें कोर्ट में प्रस्तुत किया जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया। जिला विद्यालय निरीक्षक सतीश कुमार ढाई साल पहले मामले में प्रबंधक समेत आठ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

कर्नलगंज थाना प्रभारी बलराम मिश्र ने बताया कि 5 फरवरी 2020 को गोविंद नगर के श्री मुनि इंटर कालेज में करोड़ों रुपये के वेतन घोटाले के मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक सतीश कुमार ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें प्रबंधक व तत्कालीन प्रधानाचार्य जय सिंह यादव, लिपिक अविनाश द्विवेदी, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राजेश्वरी, बिहारीलाल, जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के लेखाकार रमाशंकर प्रसाद, निरीक्षक कार्यालय के वरिष्ठ सहायक मयंक त्रिपाठी समेत आठ के खिलाफ कूटरचित दस्तावेजों से धोखाधड़ी करने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

कालेज के प्रबंधक ने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात कर्मचारियों और अधिकारियों की मदद से वेतन के करोड़ों रुपये हड़प लिए थे। आरोपितों की गिरफ्तारी के लिये मंगलवार को कर्नलगंज पुलिस गोंडा पहुंची थी। जहां गोंडा के गोबरेपुरवा निवासी बिहारीलाल के भाई विद्यालाल ने बताया कि बिहारीलाल और रतनलाल नगर निवासी लिपिक अविनाश कुमार द्विवेदी रोडवेज बस से कानपुर के लिए रवाना हुए हैं। इसके बाद पुलिस टीम ने उनका पीछा किया और दोनों को टाटमिल चौराहे पर बस से उतरते ही दबोच लिया।

लिपिक के खेल में अफसरों ने आंख मूंदकर बंदकर किए हस्ताक्षर

कर्नलगंज पुलिस की जांच में सामने आया कि लिपिक अविनाश कुमार द्विवेदी ने दो खाते खुलवाए थे, जबकि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राजेश्वरी और बिहारीलाल ने एक-एक खाता खुलवाया था। लिपिक ने धोखाधड़ी करते हुए अभिलेखों में फर्जीवाड़ा किया और उसी के सहारे अधिकारियों से वेतन पास करवा लिया। वहीं अधिकारी भी बिना जांच पड़ताल किये ही आंख मूंदकर हस्ताक्षर करते रहे। इस दौरान, आरोपित वेतन की रकम अपने-अपने खातों में जमा करते रहे। कर्मचारी लगातार अनुपस्थित रहा लेकिन उसके नाम पर हर महीने करीब 89 हजार रुपये का भुगतान होता रहा।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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