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11 January 2025 3:33 pm

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बकरीद की कुर्बानी के लिए कहीं बिक रहा ‘सलमान’ तो कहीं ग्राहकों की तलाश में है ‘सुल्तान’

36 पाठकों ने अब तक पढा

राकेश तिवारी की रिपोर्ट 

देवरिया। कोरोना पाबंदियों के हटने के दो साल बाद पड़ने वाले बकरीद त्योहार पर रौनक है। सलमान से लेकर सुल्तान के नाम वाले बकरे बिकने को मंडियों में तैयार हैं। स्लॉटर हाउस पर पाबंदियों के चलते बकरा मार्केट में तेजी है। लोग मुंह मांगा दाम देकर कुर्बानी के लिए बकरा खरीद रहे हैं।

कोरोनावायरस के चलते वर्ष 2020 और 21 में त्योहार घर पर ही मनाए गए थे। 2 साल बाद 2022 में बकरीद का त्यौहार बिना पाबंदियों के मनाया जाएगा। इसके चलते मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में उल्लास और रौनक छाया हुआ है। शहर के पुराना ओवर ब्रिज, अबू बकर नगर, तहसील रोड और स्टेशन रोड में सुबह शाम बकरे की मंडियां सज रही हैं। सलमान से लेकर सुल्तान तक विभिन्न नामकरण किए हुए बकरे मुंह मांगा दाम पर बिक रहे हैं। इसके अलावा रामपुर कारखाना की बड़ी बाजार एवं गुदरी बाजार, सलेमपुर, लार, बरवा मिरछापर, बैजनाथपुर, बघौचघाट, पथरदेवा, बंजरिया, रुद्रपुर, भाटपार रानी और बरहज में भी बकरे की मंडी सजी हुई है।

प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद अवैध स्लाटर हाउस बंद कर दिए गए थे। इसके चलते देवरिया में सलेमपुर और लार का स्लॉटर हाउस भी 5 साल से बंद पड़ा है। इसके चलते बकरों के दाम में जबरदस्त उछाल आया है। सभासद समतुल्लाह मंसूरी बताते हैं कि बकरों की आवक में कमी और मांग अधिक होने से दाम अधिक लग रहे हैं। मोहम्मद जिकरुल्लाह मंसूरी कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में भी बकरों के दाम में जबरदस्त उछाल आया है।

चिकवों की शुरू हो गई बुकिंग

अल्लाह ताला की राह में कुर्बानी देने के लिए बकरे को जिबह और मांस काटने के लिए चिक की जरूरत पड़ती है। इसके लिए मुस्लिम भाइयों ने चिकवों की बुकिंग शुरू कर दी है। सब लोग बकरीद के पहले दिन कुर्बानी कराना चाहते हैं। इसके चलते चिकवों के लिए मारामारी रहती है। ऐसे में बकरीद को कुर्बानी देने वाले अकीदत मंद 800 से ₹1000 में चिक बुक कर रहे हैं।

जिले का स्लाटर हाउस 5 साल से बंद पड़ा है। लेकिन रामपुर कारखाना थाना क्षेत्र का कौलाछापर गांव इसका अपवाद है। इस गांव का स्लाटर हाउस केवल बकरीद के अवसर पर 3 दिनों के लिए खुलता है। ग्राम प्रधान मोहम्मद रफी बताते हैं कि स्लॉटर हाउस में बड़े की कुर्बानी दी जाती है। अवशेष को दबाने के लिए जेसीबी से गड्ढा खुदवा दिया गया है। साफ-सफाई भी पूरी हो गई है। यहां पर प्रतिबंधित पशुओं का कुर्बानी नहीं किया जाता है।

बकरा लेने की हैसियत नहीं रहती है तो लेते हैं बड़े में हिस्सा

मुस्लिम भाई अल्लाह ताला की राह में कुर्बानी पेश करते हैं। इसके लिए बकरा, भेड़, ऊंट और भैंस की कुर्बानी देने का प्रचलन है। जिन लोगों के पास बकरा खरीदने की हैसियत नहीं रहती है वह बड़े में हिस्सा लेते हैं बड़े जानवर में एक साथ 3 से 7 लोग हिस्सा ले लेते हैं। स्लाटर हाउस बंद होने से बड़े में हिस्सा लेने वाले कुर्बानी से पीछे रह जाते हैं। महज कौलाछापर में 3 दिन तक चलने वाले स्लाटर हाउस के लिए बड़े में हिस्सा देने के दाम में भी उछाल आया है। 2 साल पहले तक डेढ़ हजार से 2000 तक में हिस्सेदारी हो जाती थी। लेकिन इस साल 3000 से ₹4000 में हिस्सा मिल पा रहा है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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