कविता ; समाधान हल निकलेगा

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• प्रमोद दीक्षित मलय

संकट संबल निकलेगा।
भाई का बल निकलेगा।
पत्थर की कारा से अब,
जीवन रस जल निकलेगा।।

सब अपने, कौन पराया।
मन निर्मल, छल निकलेगा।।
कल छोड़ो, कल की सुध लो
रो मत काजल निकलेगा।।

भालू का बना बिजूका।
डर मत कंबल निकलेगा।।
सड़कों पर गायें मरतीं।
न गोभक्त दल निकलेगा।।

चिंतन से हर सवाल का।
समाधान हल निकलेगा।।
खेतों में राख भगत की।
देशभक्त दल निकलेगा।।
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शिक्षक, बांदा (उ.प्र.)।
samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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