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कविता

भजन

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गरिमा वार्ष्णेय

तेरा सहारा मुझको वंशी बजैया

तुझको ही सौपती हूं जीवन की नैया।

1.तुझको ही सौपती हूं जीवन के निश्चय

तुझको ही मानती हूं जय और पराजय

तू ही है कर्णधार तू ही खिवैया

तुझको ही सौपती हूं जीवन की नैया।

2.सुख में न फूलती दुख में न हारती

पल पल मैं तुमको बस तुमको निहारती 

बालक मैं तेरी और तू ही मेरी मैया

तुझको की सौंपती हूं जीवन की नैया।

3.जग का तू नाथ है तुझको मैं क्या दूं

मन बुद्धि के फूल तुमको चढ़ा दूं

सर्जन हूं तेरा मैं जग के रचैया 

तुझको ही सौंपती हूं जीवन की नैया।

4.भय है न मुझको जो तू मेरे साथ है

जीवन की डोर प्रभु तेरे ही हाथ है

तेरी ही गोद मेरे सुख की है शैया

तुझको ही सौंपती हूं जीवन की नैया।

(काव्य दीप के प्रथम वर्षगांठ पर आयोजित काव्य प्रतियोगिता में शामिल यह कविता तृतीय स्थान पर रही)

गरिमा वार्ष्णेय, गरिमा वार्ष्णेय, प्रधानाध्यापिका प्रा0 वि0 कलवारी, हाथरस
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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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