google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
कविता

ऐ रे कान्हा मधुसूदन….

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

प्रियांशु सक्सेना

ऐ रे कान्हा मधुसूदन
अर्पण तुझको तन और मन

धरे बांसुरी अधर पर
मोर पंख है मुकुटन
घूँघर बाजे पैजनिया
कमर करधनी छन् छन्

ऐ रे कान्हा मधुसूदन
अर्पण तुझको तन और मन

कमल भांति है लोचन तेरे
छवि है अविकल न्यारी
दर्शन की अभिलाषी मीरा
हो गयी तेरी बौरन

ऐ रे कान्हा मधुसूदन
अर्पण तुझको तन और मन

(काव्य दीप के प्रथम वर्षगांठ पर आयोजित काव्य प्रतियोगिता में शामिल यह कविता दूसरे स्थान पर रही)

प्रियांशु सक्सेना, L L M, कवयित्री, ऑनलाइन पटलों पर काव्यपाठ
82 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Check Also
Close
Back to top button
Close
Close