पोखरी को पाटने की कीमत चुकानी पड़ी प्रशासन को, कोर्ट ने रोका थाना निर्माण

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➡️ जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

हाईकोर्ट के निर्देश पर आजमगढ़ के बिलरियागंज में प्रस्तावित थाना भवन निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। जिलाधिकारी ने आवंटित भूमि को निरस्त कर वैकल्पिक स्थल की तलाश शुरू कर दी है।

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद में बिलरियागंज थाना भवन निर्माण कार्य को लेकर एक अहम फैसला सामने आया है। हाईकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद इस निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। इसके साथ ही, जिलाधिकारी द्वारा थाने के लिए पूर्व में आवंटित भूमि को निरस्त कर दिया गया है, जिससे प्रशासन में हलचल मच गई है।

गौरतलब है कि वर्तमान समय में बिलरियागंज थाना एक किराये के भवन में संचालित हो रहा है। शासन स्तर से थाने के लिए नई इमारत के निर्माण हेतु 20 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी मिल चुकी थी। इसके तहत, थाने के पीछे स्थित पोखरी और भीटे की भूमि को निर्माण हेतु चिह्नित किया गया था।

हालांकि, निर्माण कार्य के दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने इस भूमि के धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व को लेकर आपत्ति जताई। ग्रामीणों—जिनमें राधेश्याम और सुरेश प्रमुख हैं—ने जनवरी माह में हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की थी।

सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए अधिकारियों को तलब किया और निर्माण कार्य तत्काल रोकने का आदेश दिया। उस समय भूमि पर नींव की खुदाई और कुर्सी भराई का कार्य प्रारंभ हो चुका था।

कोर्ट के आदेश के अनुपालन में, प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से कार्य बंद करवा दिया और भूमि आवंटन को निरस्त करते हुए परियोजना पर विराम लगा दिया। अब, राजस्व विभाग की टीम वैकल्पिक भूमि की तलाश में सक्रिय हो गई है ताकि थाना भवन का निर्माण किसी उपयुक्त स्थान पर जल्द से जल्द शुरू किया जा सके।

यह मामला न सिर्फ कानूनी और प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय लोगों की सहभागिता और जनहित के मुद्दों को भी उजागर करता है। आगे देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस चुनौतीपूर्ण स्थिति से कैसे निपटता है और न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करते हुए एक स्थायी समाधान खोजता है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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