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संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट: भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे अन्याय, अत्याचार और उत्पीड़न के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। खासतौर पर मथुरा की घटना में भीम आर्मी चीफ और आजाद समाज पार्टी काशीराम के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद एवं एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद के काफिले पर हुए हमले के विरोध में यह प्रदर्शन किया गया।
शहीद पार्क से निकाला जुलूस, तहसील तक गूंजे सरकार विरोधी नारे
भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के सभी पदाधिकारी व समर्थक शहीद पार्क से जुलूस निकालते हुए धनुष चौराहा होते हुए तहसील पहुंचे। इस दौरान सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कार्यकर्ताओं ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा
तहसील पहुंचकर प्रदर्शनकारियों ने महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित चार सूत्रीय ज्ञापन उप जिलाधिकारी कर्वी को सौंपा। इस मौके पर भीम आर्मी के जिला संयोजक संजय कुमार गौतम ने स्पष्ट किया कि भविष्य में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष या अन्य नेताओं के काफिले पर इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए।
प्रमुख मांगें
ज्ञापन में निम्नलिखित चार मुख्य मांगें रखी गईं:
1. पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
2. आत्मरक्षा के लिए लाइसेंस जारी किया जाए और सुरक्षा बल की तैनाती की जाए।
3. दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
4. भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद को Z+ सुरक्षा दी जाए।
सैकड़ों कार्यकर्ता हुए शामिल
इस प्रदर्शन में आजाद समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष अकबर सिद्धार्थ, जिला महासचिव एडवोकेट श्रीपाल प्रजापति, राहुल अंबेडकर, पूर्व जिला अध्यक्ष इंद्रभान अंबेडकर, धीरज गौतम, राकेश पथरी, राजेश कुमार, विनोद वर्मा, रामनाथ वर्मा, दीपक कुमार, शिवा गौतम, रविंद्र सोनू दिनकर, सुनील अंबेडकर, अर्जुन सविता, सोनू गौतम, राजेंद्र प्रसाद, कोमल सिंह सूर्यवंशी, लक्ष्मी नारायण, अशोक, विकास कुमार, राधेश्याम प्रजापति, बुद्ध विलास बौद्ध, भागचंद सोनकर, छोटेलाल वर्मा सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
इस प्रदर्शन के माध्यम से भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी ने सरकार से मांग की कि पीड़ित परिवार को न्याय मिले, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो और राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद की सुरक्षा को और मजबूत किया जाए। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन मांगों पर कितना गंभीरता से कार्रवाई करता है।