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आज एक-एक विधायक के लिए तरस रहीं… नहीं तो प्रधानमंत्री की दावेदार होती मायावती… स्वामी प्रसाद मौर्य ने पढिए क्यों कहा ऐसा

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने हाल ही में एक चौंकाने वाला फैसला लिया है। उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटाने के साथ-साथ BSP से भी बाहर कर दिया। इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में मायावती के इस कदम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान: “अगर मायावती सामाजिक आंदोलन पर चलतीं, तो PM पद की दावेदार होतीं”

राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (RSSP) के प्रमुख स्वामी प्रसाद मौर्य ने मायावती के इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि चूंकि मायावती पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, इसलिए किसे जिम्मेदारी देनी है और किसे नहीं, यह पूरी तरह उनका अधिकार क्षेत्र है।

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर मायावती बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के सामाजिक आंदोलन पर चलतीं, तो आज वह प्रधानमंत्री पद की दावेदार होतीं। लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि BSP को अब एक-एक विधायक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

BSP के भीतर पारिवारिक राजनीति पर सवाल

स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह भी इशारा किया कि BSP में परिवारवाद हावी हो चुका है। उन्होंने कहा,

“पहले भी आकाश आनंद को जिम्मेदारियों से मुक्त किया गया था, फिर उन्हें दोबारा शामिल किया गया और अब एक बार फिर बाहर कर दिया गया। यह सिलसिला चलता रहता है—भतीजा नहीं तो भाई सही, भाई नहीं तो भतीजा सही।”

कांग्रेस ने BSP पर साधा निशाना

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि,

“जिस पार्टी को कांशीराम जी ने कड़ी मेहनत से खड़ा किया था, वह अब पारिवारिक मुद्दों में उलझ गई है। प्रदेश में दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं, लेकिन BSP इसके खिलाफ आवाज नहीं उठा रही है।”

मायावती ने क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?

मायावती ने 3 मार्च को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर आकाश आनंद के निष्कासन का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि आकाश आनंद लगातार अपने ससुर डॉ. अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में बने हुए थे।

BSP प्रमुख ने अपने पोस्ट में लिखा,

“आकाश आनंद को पहले राष्ट्रीय समन्वयक समेत सभी पदों से हटाया गया था, लेकिन उन्होंने इस मामले में परिपक्वता नहीं दिखाई। उनकी प्रतिक्रिया में पछतावे या राजनीतिक मैच्योरिटी की जगह उनके ससुर का स्वार्थी और अहंकारी प्रभाव नजर आया। ऐसे में उन्हें पार्टी और आंदोलन के हित में BSP से निष्कासित किया जाता है।”

मायावती का यह कदम BSP की आंतरिक राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है। जहां एक तरफ यह फैसला पार्टी में अनुशासन बनाए रखने की कोशिश लगती है, वहीं दूसरी ओर BSP में परिवारवाद और अंदरूनी कलह की भी झलक मिलती है। अब देखना यह होगा कि आकाश आनंद इस निष्कासन के बाद क्या रुख अपनाते हैं और BSP पर इसका क्या असर पड़ता है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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