ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
रायबरेली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती की राजनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वह ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ आतीं, तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को हार का सामना करना पड़ता। राहुल गांधी ने पहली बार यह खुलासा किया कि कांग्रेस ने मायावती को गठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
रायबरेली दौरे के दौरान एक दलित युवक ने कांशीराम और मायावती के दलित उत्थान में योगदान का जिक्र किया, जिस पर राहुल गांधी ने मायावती के चुनावी रणनीति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “मायावती ठीक से चुनाव क्यों नहीं लड़ रही हैं? हमने उन्हें साथ आने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। अगर बसपा, सपा और कांग्रेस साथ आते, तो बीजेपी को हराना आसान होता।”
राहुल गांधी के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। सवाल उठ रहा है कि क्या वास्तव में मायावती को गठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव मिला था और अगर हां, तो उन्होंने इसे ठुकराने का फैसला क्यों किया? क्या भविष्य में सपा, बसपा और कांग्रेस एक साथ आ सकते हैं?
रायबरेली में राहुल गांधी का दौरा
राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे। उन्होंने लखनऊ से सड़क मार्ग से यात्रा करते हुए सबसे पहले चुरुवा सीमा पर हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने बछरावां में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित किया और बूथ स्तर पर पार्टी की पकड़ मजबूत करने पर जोर दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार महंगाई और बेरोजगारी जैसे वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाकर केवल पूंजीपतियों को लाभ पहुंचा रही है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से जनता के मुद्दों पर फोकस करने की अपील की।
संविधान और दलितों के योगदान पर बोले राहुल गांधी
रायबरेली में दलित छात्रों से बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने भारतीय संविधान में दलितों के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर का उदाहरण देते हुए कहा कि सुविधाओं के अभाव के बावजूद उन्होंने भारतीय राजनीति को बदल कर रख दिया।
राहुल गांधी ने निजी क्षेत्र की शीर्ष 500 कंपनियों का जिक्र करते हुए पूछा कि उनमें से कितनी कंपनियों के प्रमुख दलित हैं। जब एक युवा ने जवाब दिया कि “कोई नहीं”, तो राहुल गांधी ने कहा कि यही साबित करता है कि पूरी व्यवस्था दलितों के खिलाफ काम कर रही है।
उन्होंने कहा, “व्यवस्था हर रोज आप पर हमला करती है और आपको इसका एहसास भी नहीं होता। संविधान की विचारधारा ही दलितों की विचारधारा है, लेकिन समाज में उन्हें दबाने की कोशिश की जाती है। अगर दलित न होते, तो यह संविधान भी नहीं होता।”
राहुल गांधी के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक दलित राजनीति और आगामी चुनावी समीकरणों से जोड़कर देख रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मायावती इस पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं और क्या भविष्य में कोई नया राजनीतिक गठबंधन उभर सकता है।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की