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25 February 2025 7:40 pm

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मामूली सी दुकान और इतने सारे पैसे… लडकों को लाखों में देता था सैलरी, भेद खुला तो पुलिस का भी घूमा दिमाग

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अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट

पीलीभीत, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में एक कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के जरिए नकली नोट छापने का संगठित अपराध सामने आया है। यह खुलासा तब हुआ जब पुलिस को सूचना मिली कि एक छोटा सा CSC ऑपरेटर अत्यधिक मात्रा में नकदी का लेन-देन कर रहा था।

पुलिस की छापेमारी में बड़ा खुलासा

सूचना के आधार पर जब पुलिस ने छापेमारी की, तो दुकान से नकली नोटों की बड़ी संख्या में गड्डियां बरामद हुईं। इसके अलावा, नोट छापने के उपकरण, लैपटॉप, प्रिंटिंग मशीन, आधी छपी हुई मुद्रा की शीट्स और स्पेशल इंक भी जब्त की गई। जब पुलिस ने गहन पूछताछ की, तो सच्चाई सामने आते ही सभी अधिकारियों के होश उड़ गए।

2.9 लाख रुपये की नकली करेंसी बरामद, चार आरोपी गिरफ्तार

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बरखेड़ा-नवाबगंज मार्ग पर एक पुल के पास से पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनके पास से 100 और 200 रुपये के नकली नोटों में कुल 2.9 लाख रुपये बरामद किए गए।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान इस प्रकार की गई:

रिजवान अंसारी (28) – शाहजहांपुर, अब्दुल सत्तार (30) – शाहजहांपुर, खलील अहमद (46) – बदायूं, फरियाद हुसैन – बरेली।

आरोपियों का नेटवर्क और विदेशी कनेक्शन की जांच जारी

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि इस गिरोह का नेटवर्क शाहजहांपुर के तिलहर कस्बे से जुड़ा हुआ था। इसके अलावा, पुलिस नेपाल और पाकिस्तान के संभावित कनेक्शन की भी जांच कर रही है। एएसपी विक्रम दहिया ने बताया कि आरोपियों को आगे की पूछताछ के लिए हिरासत में रिमांड पर लेने की योजना बनाई जा रही है।

मास्टरमाइंड कौन?

तीन आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया कि अब्दुल सत्तार इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड था। वह सरकारी जन सेवा केंद्र (CSC) के नाम पर यह अवैध कारोबार चला रहा था। पुलिस के अनुसार, गिरोह द्वारा छापे गए नकली नोटों के सीरियल नंबर असली नोटों से मिलते-जुलते थे, जिससे उन्हें आसानी से बाजार में खपाने की कोशिश की जा रही थी।

कड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज

बरखेड़ा थाना प्रभारी मुकेश शुक्ला ने बताया कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की कई गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें शामिल हैं:

धारा 178 – नकली मुद्रा, सिक्के या सरकारी स्टांप बनाना, धारा 179 – जाली मुद्रा या स्टांप का इस्तेमाल करना, धारा 180 – नकली मुद्रा या स्टांप रखना, धारा 181 – नकली मुद्रा बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री का निर्माण या सौदा करना, धारा 111(1) – संगठित अपराध में संलिप्तता।

यह मामला दिखाता है कि नकली करेंसी का धंधा अब छोटे व्यवसायों की आड़ में भी पनप रहा है। हालांकि, पीलीभीत पुलिस की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने इस अपराध का भंडाफोड़ कर लिया। अब आगे की जांच में यह देखा जाएगा कि इस गिरोह के तार विदेशों से जुड़े हैं या नहीं और क्या इससे जुड़े और भी लोग हैं।

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