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1 February 2025 11:24 pm

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पिता की मौत के 7 साल बाद बेटे का जन्म, जिंदा रहते हुए मौत की तख्ती… डीएम को लेना पडा एक्शन तो सामने आई सच्चाई

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संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक जिंदा व्यक्ति को कागजों में मृत दिखाकर उसकी करोड़ों रुपये की जमीन हड़प ली गई। हैरान करने वाली बात यह है कि यह सब राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ, जिन्होंने बिना किसी जांच-पड़ताल के जमीन की वरासत (उत्तराधिकार हस्तांतरण) कर दी। जब पीड़ित को इस साजिश का पता चला, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।

खतौनी निकाली तो पता चला कि “मृत” घोषित कर दिया गया

यह मामला जिले की सदर तहसील कर्वी के सीतापुर कस्बे का है। पीड़ित कल्लू उर्फ कुन्नु कुशवाह रोज़गार के सिलसिले में मध्य प्रदेश के सतना जिले के नगर कोठी में काम करता है। हाल ही में जब वह अपने गांव लौटा, तो उसने तहसील से अपनी जमीन की खतौनी (भूमि स्वामित्व का आधिकारिक दस्तावेज) निकलवाई।

जैसे ही उसने खतौनी देखी, वह हैरान रह गया। दस्तावेजों में उसे 1959 में मृत घोषित किया गया था, और उसकी जमीन किसी और के नाम वरासत कर दी गई थी।

मृत्यु 1959 में, बेटा 1966 में पैदा!

सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह थी कि जमीन पर हक जताने वाले व्यक्ति ने खुद को कल्लू कुशवाह का बेटा बताया था। मगर दस्तावेजों में एक बड़ा घोटाला सामने आया—

कागजों में पिता (कुन्नु कुशवाह) की मौत 1959 में दर्ज थी।

बेटे (कुट्टू रैकवार) का जन्म 1966 में दिखाया गया थाथ

यानि पिता की मृत्यु के सात साल बाद बेटे का जन्म! इस फर्जीवाड़े को देखकर पीड़ित को यकीन हो गया कि यह पूरी साजिश राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों और लेखपाल की मिलीभगत से रची गई थी।

लेखपाल पर गिरी गाज, डीएम ने दिए जांच के आदेश

इस धोखाधड़ी के सामने आने के बाद पीड़ित ने जिलाधिकारी (DM) को लिखित शिकायत दी और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से आरोपी लेखपाल को निलंबित कर दिया और पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए।

भूमाफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों की साजिश

यह मामला बताता है कि किस तरह भूमाफिया और भ्रष्ट सरकारी अधिकारी मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जिंदा लोगों को मृत दिखाकर उनकी जमीन हड़प लेते हैं। अगर कुन्नु कुशवाह ने खतौनी न निकाली होती, तो शायद उसे कभी इस साजिश का पता ही नहीं चलता।

अब सवाल उठता है कि, 

क्या इस फर्जीवाड़े में और भी बड़े अधिकारी शामिल हैं?

क्या पीड़ित को उसकी जमीन वापस मिलेगी?

प्रशासन भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाएगा?

फिलहाल, प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है, और पीड़ित को न्याय मिलने की उम्मीद है। लेकिन यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि भ्रष्टाचार और लालच की जड़ें प्रशासनिक तंत्र में कितनी गहरी हैं।

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