चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
सहारनपुर— उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में एक प्रतिष्ठित सरकारी कॉलेज में पढ़ाने वाले प्रोफेसर पर छात्राओं ने गंभीर आरोप लगाए हैं। लाला किशनचंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की एक छात्रा ने हिंदी पढ़ाने वाले प्रोफेसर पर अश्लील हरकतें करने और फेल करने की धमकी देने का आरोप लगाया है। पुलिस ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रोफेसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।
इस शर्मनाक घटना के सामने आने के बाद मां शाकंभरी देवी यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है। यह समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर कॉलेज प्रशासन आगे की कार्रवाई करेगा।
छात्रा ने लगाए गंभीर आरोप
पीड़ित छात्रा का कहना है कि जब वह कॉलेज से पैदल घर लौटती थी, तो रास्ते में आरोपी प्रोफेसर उसका पीछा करता था। कई बार उसने जबरन उसका रास्ता रोक लिया और गाड़ी में बैठने के लिए मजबूर किया। छात्रा के अनुसार, जब उसने विरोध किया, तो प्रोफेसर ने जबरन उसे कार में खींचकर आगे की सीट पर बैठा दिया और रास्ते भर अनुचित तरीके से छूता रहा।
छात्रा ने यह भी बताया कि कॉलेज में भी आरोपी उसे बार-बार अकेले मिलने के लिए बुलाता था और ट्यूशन पढ़ाने के बहाने संपर्क में रहने को कहता था। जब उसने इन सब बातों से इनकार किया, तो प्रोफेसर ने उसे परीक्षा में फेल करने की धमकी दी।
कक्षा में की अश्लील हरकतें, लड़की भागकर बची
घटना का चरम तब हुआ जब मंगलवार को छुट्टी के समय आरोपी ने पीड़िता को जबरन कक्षा में खींच लिया और उसके साथ अश्लील हरकतें करने लगा। छात्रा के अनुसार, प्रोफेसर ने जबरदस्ती उसके कपड़े उतारने की कोशिश की। किसी तरह छात्रा ने हिम्मत दिखाई और शोर मचाते हुए कक्षा से बाहर भाग निकली। इस दौरान आरोपी मौके से फरार हो गया।
घटना के बाद पीड़िता ने हिम्मत जुटाकर कॉलेज प्रबंधन से शिकायत की। कॉलेज प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ BNS की धारा 76, 78 और 351(2) के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।
मेडिकल जांच और पुलिस की जांच जारी
छात्रा की शिकायत के आधार पर पुलिस ने उसे मेडिकल जांच के लिए भेज दिया है। वहीं, कॉलेज प्रशासन द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
इस घटना ने कॉलेज प्रशासन और छात्राओं की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल,
गुरु-शिष्य परंपरा पर कलंक: जब शिक्षक ही मर्यादा भूल जाएं?
गुरु— यह शब्द अपने आप में आदर, श्रद्धा और मार्गदर्शन का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में शिक्षक को ईश्वर से भी उच्च स्थान दिया गया है—गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। शिक्षकों की भूमिका सिर्फ ज्ञान देने तक सीमित नहीं होती, बल्कि वे अपने शिष्यों के चरित्र निर्माण, नैतिकता और संस्कारों को भी गढ़ते हैं। परंतु यह अत्यंत दुखद और चिंताजनक है कि कुछ शिक्षकों द्वारा इस पवित्र रिश्ते को कलंकित किया जा रहा है।
शिक्षक: मार्गदर्शक या शोषक?
समाज में शिक्षक की भूमिका एक दीपक के समान होती है, जो अपने शिष्यों को अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। लेकिन जब यही दीपक स्वार्थ, वासना और अनैतिकता के धुएं में घिर जाता है, तो वह अपने चारों ओर सिर्फ अंधकार ही फैलाता है। हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां शिक्षकों ने अपनी ही छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार किया, उनका मानसिक और शारीरिक शोषण किया। यह न केवल गुरु-शिष्य परंपरा का अपमान है, बल्कि पूरे समाज की नैतिक संरचना के लिए भी खतरा है।
छात्राओं के साथ अपराध: क्यों बढ़ रही हैं घटनाएँ?
छात्राओं के साथ शिक्षकों द्वारा दुर्व्यवहार की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं, जिसका मुख्य कारण नैतिक मूल्यों में गिरावट और अनुशासनहीनता है। कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
1. नैतिकता और संस्कारों का ह्रास – आज की शिक्षा प्रणाली केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित होती जा रही है। नैतिक शिक्षा और मानवीय मूल्यों का स्थान व्यावसायिकता और प्रतिस्पर्धा ने ले लिया है।
2. अधिकारों का दुरुपयोग – कुछ शिक्षक अपने अधिकार और पद का दुरुपयोग करते हुए छात्राओं को डराने-धमकाने का प्रयास करते हैं। वे ग्रेड, परीक्षा और करियर के नाम पर उनका मानसिक शोषण करते हैं।
3. संस्थान की लापरवाही – कई बार शिक्षण संस्थान भी ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लेते। वे शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से कतराते हैं, जिससे ऐसे अपराधियों का मनोबल बढ़ता है।
4. छात्राओं की चुप्पी – समाज में व्याप्त भय और बदनामी के डर से कई छात्राएँ अपनी आवाज़ नहीं उठा पातीं। वे चुपचाप सब सहती रहती हैं, जिससे अपराधियों को खुली छूट मिल जाती है।
समाज और व्यवस्था की भूमिका
अगर हम अपनी शिक्षा प्रणाली और गुरु-शिष्य परंपरा की पवित्रता को बचाना चाहते हैं, तो हमें सामूहिक रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। कुछ महत्वपूर्ण कदम इस प्रकार हो सकते हैं:
1. नैतिक शिक्षा का पुनर्स्थापन – शिक्षकों को केवल विषयों का ज्ञान देने वाला नहीं, बल्कि नैतिकता और आदर्शों का पालन करने वाला बनाया जाए। शिक्षक बनने से पहले उनके चरित्र और मानसिकता की गहन जांच होनी चाहिए।
2. सख्त कानूनी कार्रवाई – जो शिक्षक इस पवित्र रिश्ते को कलंकित करते हैं, उनके खिलाफ कठोरतम कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, जिससे भविष्य में कोई भी ऐसी हरकत करने से पहले सौ बार सोचे।
3. शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी – प्रत्येक स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में एक स्वतंत्र शिकायत प्रकोष्ठ होना चाहिए, जहां छात्राएँ बेझिझक अपनी शिकायतें दर्ज करवा सकें।
4. छात्राओं को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाना – छात्राओं को आत्मरक्षा, कानूनी अधिकारों और अपनी सुरक्षा के उपायों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
गुरु-शिष्य का रिश्ता सबसे पवित्र होता है। यह वह बंधन है, जो केवल शिक्षा तक सीमित नहीं रहता, बल्कि एक विद्यार्थी के पूरे जीवन को आकार देता है। परंतु जब इस रिश्ते में पाखंड, अनैतिकता और स्वार्थ की मिलावट हो जाती है, तो पूरा समाज प्रभावित होता है। अगर हमें अपने भविष्य को सुरक्षित रखना है, तो शिक्षकों को अपने मूल्यों और मर्यादाओं का पालन करना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा का मंदिर फिर से अपनी पुरानी गरिमा को प्राप्त करे, जहाँ शिक्षक सच्चे मार्गदर्शक बनें और शिष्य निडर होकर ज्ञान प्राप्त करें। तभी हम एक स्वस्थ, सुरक्षित और नैतिक समाज की स्थापना कर पाएंगे। ( सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं के साथ इसमें संपादन विभाग ने जागरूकता के उद्देश्य से विचार मात्र संयुक्त किया है। आपकी राय कमेंट में अपेक्षित है🙏)
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की