परवेज अंसारी की रिपोर्ट
23 जनवरी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती, पूरे देश में पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी को नमन करते हुए उनके योगदान को याद किया और देशवासियों को उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी। पीएम मोदी ने ओडिशा के कटक में आयोजित पराक्रम दिवस समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया।
नेताजी के विचारों को आत्मसात करने की अपील
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस केवल एक नाम नहीं, बल्कि साहस, संकल्प और संघर्ष की मिसाल हैं। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए जो योगदान दिया, वह हमेशा अमिट रहेगा।
पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में भी नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा—
“पराक्रम दिवस पर मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान अद्वितीय है। वह साहस और धैर्य का प्रतीक थे। उनका दृष्टिकोण हमें प्रेरित करता रहता है क्योंकि हम उस भारत के निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसकी उन्होंने कल्पना की थी।”
युवाओं को अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलने की सलाह
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देश के युवा वर्ग को खासतौर पर संबोधित किया और उन्हें नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए कहा। उन्होंने कहा—
“आज का युवा अगर अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलेगा, चुनौतियों का सामना करेगा और अपने सपनों को साकार करने के लिए पूरी मेहनत से जुटेगा, तभी भारत नेताजी के सपनों का देश बन सकेगा।”
उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे नेताजी के “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” जैसे प्रेरणादायी नारों से सीख लें और देश के विकास में अपना योगदान दें।
‘सूर्योदय योजना’ का जिक्र: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत की पहल
इस अवसर पर पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत सरकार की ‘सूर्योदय योजना’ का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि यह योजना किस तरह से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कारगर साबित हो रही है और भारत को एक हरित (ग्रीन) और टिकाऊ भविष्य की ओर ले जा रही है।
2047 के भारत पर बच्चों से चर्चा
पराक्रम दिवस के कार्यक्रम से पहले, पीएम मोदी ने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में स्कूली बच्चों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने बच्चों से पूछा कि 2047 तक भारत को किस मुकाम पर देखना चाहते हैं? बच्चों ने उत्साहपूर्वक जवाब दिया— “2047 तक हमें भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है।”
प्रधानमंत्री ने इस जवाब को सराहा और कहा कि अगर नेताजी आज जीवित होते, तो वे भी यही सपना देखते कि भारत विश्व मंच पर एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र बने।
नेताजी की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प
प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रेरणादायी संबोधन से यह स्पष्ट होता है कि पराक्रम दिवस केवल नेताजी को याद करने का अवसर नहीं, बल्कि उनके विचारों को आत्मसात करने का भी दिन है। उन्होंने कहा कि आज का भारत नेताजी की सीख को अपनाते हुए आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ रहा है।
इस मौके पर “जय हिंद” के नारों के साथ पूरे देश ने नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।