चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
अमरोहा जिले में दो युवतियों का प्रेम इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। जिले की एक युवती और धनौरा कस्बे की दूसरी युवती के बीच पनपे इस रिश्ते ने परिवारों को असमंजस में डाल दिया है। ये दोनों युवतियां अब समाज की परंपराओं और परिवार के विरोध के बावजूद शादी कर एक साथ जीवन बिताने की ठान चुकी हैं।
जानकारी के अनुसार, दोनों युवतियों की पहली मुलाकात दिल्ली में एक शादी समारोह के दौरान हुई। इस मुलाकात के बाद उनकी दोस्ती गहराती गई और धीरे-धीरे यह रिश्ता प्रेम में बदल गया। एक-दूसरे के प्रति गहरी भावनाएं रखते हुए दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं। अब वे एक-दूसरे के साथ विवाह कर घर बसाने का फैसला कर चुकी हैं।
हालांकि, उनके इस फैसले से परिवारजन परेशान और नाराज हैं। परिजनों ने उन्हें समझाने-बुझाने का हरसंभव प्रयास किया, लेकिन दोनों युवतियां अपने निर्णय पर अडिग हैं। परिवार की नाराजगी और सामाजिक दबाव के बावजूद, वे अपनी इच्छा को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने में हिचक नहीं रहीं।
सामाजिक मान्यताओं को चुनौती
इस प्रकार के रिश्ते अभी भी भारतीय समाज में एक बड़ी चुनौती माने जाते हैं। खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में समलैंगिक संबंधों को सामाजिक स्वीकृति कम ही मिलती है। इस मामले में भी परिवार और समाज का विरोध मुख्य रूप से परंपराओं और मान्यताओं पर आधारित है।
लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में समलैंगिक संबंधों को वैध करार दिया था और समान अधिकार की बात कही थी। बावजूद इसके, समाज में समलैंगिक विवाह को लेकर जागरूकता और स्वीकृति का अभाव अभी भी मौजूद है। इन दोनों युवतियों का साहस भरा फैसला, समाज के इस नजरिये को चुनौती दे रहा है।
आगे का रास्ता
जहां एक तरफ उनके परिवार इस रिश्ते को स्वीकार करने में हिचक रहे हैं, वहीं युवतियों का दृढ़ निश्चय बताता है कि वे अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने के लिए तैयार हैं। इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक संगठनों का कहना है कि परिवारों को अपनी बेटियों की भावनाओं और इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए।
यह प्रेम कहानी केवल दो युवतियों की निजी पसंद नहीं है, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक परिवर्तन की ओर इशारा करती है। समाज को अब यह समझने की जरूरत है कि प्रेम का आधार लिंग नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और समझ है।
अमरोहा की इन युवतियों का संघर्ष कई और लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है, जो अपनी सच्ची पहचान को जीने का साहस जुटा रहे हैं।