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अनोखी होली: लाट साहब की परेड, जूतों की बरसात और ऐतिहासिक परंपरा!

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

होली का पर्व आते ही उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की गलियों में एक अनोखा नज़ारा देखने को मिलता है। यहां हर साल “लाट साहब की परेड” (Laat Sahab Parade) निकाली जाती है, जो पूरे देश में मशहूर है। इस जुलूस में एक व्यक्ति को लाट साहब बनाकर भैंसागाड़ी पर बैठाया जाता है, और पूरे शहर में घुमाया जाता है। परंपरा के अनुसार, लोग लाट साहब पर जूतों और चप्पलों की बरसात करते हैं।

इस साल भी लाट साहब के जुलूस की तैयारी पूरी हो चुकी है, और पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।

कैसे हुई इस अनोखी परंपरा की शुरुआत?

शाहजहांपुर के बुजुर्गों के अनुसार, इस परंपरा की शुरुआत 1729 में हुई थी। उस समय नवाब अब्दुल्ला खान के महल में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग होली खेलने पहुंचे थे। नवाब ने उनके साथ रंगों का उत्सव मनाया, जिसके बाद उन्हें ऊंट पर बैठाकर पूरे शहर में घुमाया गया। यही परंपरा समय के साथ लाट साहब की परेड के रूप में बदल गई।

ब्रिटिश राज में आया बड़ा बदलाव

ब्रिटिश शासन के दौरान, “लाट साहब” का मतलब गवर्नर जनरल या ब्रिटिश अधिकारी होता था। उस समय अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के कारण लोग उनसे नफरत करने लगे थे। इस नफरत को होली की परंपरा से जोड़कर एक नया रूप दिया गया। अब लाट साहब के रूप में एक व्यक्ति को भैंसागाड़ी पर बैठाया जाने लगा, और लोग उस पर जूते-चप्पल फेंकने लगे। यह परंपरा आजादी के बाद भी जारी रही और अब यह शाहजहांपुर की पहचान बन चुकी है।

लाट साहब की परेड: आयोजन और सुरक्षा व्यवस्था

हर साल होली के दिन शाहजहांपुर के चौक और सरायकाईयाँ से दो बड़े जुलूस निकाले जाते हैं। इन जुलूसों को लेकर प्रशासन कई महीने पहले से तैयारियां शुरू कर देता है।

लाट साहब की प्रतीकात्मक पुतला

कोतवाली में दी जाती है सलामी: जुलूस जब कोतवाली पहुंचता है, तो यहां लाट साहब को सलामी दी जाती है। इसके बाद लाट साहब कोतवाल से पूरे साल का हिसाब मांगते हैं, और कोतवाल उन्हें नजराना पेश करते हैं।

3500 पुलिस जवानों की तैनाती: शांति बनाए रखने के लिए PAC, RAF और अन्य सुरक्षा बलों के साथ 3500 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाता है।

ड्रोन और कैमरों से निगरानी: हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है।

धार्मिक स्थलों की सुरक्षा: परेड के रास्ते में आने वाले मंदिरों और मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया जाता है, और वहां अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाता है।

क्यों खास है शाहजहांपुर की होली?

शाहजहांपुर की लाट साहब परेड सिर्फ एक मज़ाकिया परंपरा नहीं, बल्कि इतिहास, क्रांति और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। यह त्योहार हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल पेश करता है, और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भारतीयों की भावनाओं को दर्शाता है।

हर साल हजारों लोग इस अनोखी परंपरा को देखने आते हैं, और पूरे शहर में रंग, उत्साह और जोश का माहौल बना रहता है। शाहजहांपुर की यह ऐतिहासिक परंपरा आज भी अपनी अनूठी पहचान बनाए हुए है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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