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अजब-गजब

अनोखा “डोली गांव”, जहां 200 सालों से नहीं बना एक भी दो मंजिला मकान ; वजह बड़ी अजीब है

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सुरेंद्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट

भारत में लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है, और देशभर में करीब 7 लाख गांव हैं। आधुनिक युग में अधिकांश गांवों में पक्के और बहुमंजिला मकान देखने को मिलते हैं, लेकिन राजस्थान के जोधपुर से 30 किलोमीटर दूर स्थित डोली गांव इस मामले में अनूठा है। यहां एक मंजिल से ऊपर कोई भी मकान नहीं बनाया जाता। इसकी वजह कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं, बल्कि 200 साल पुरानी मान्यता है, जिसे ग्रामीण आज भी पूरी आस्था के साथ मानते हैं।

200 साल पुरानी परंपरा का पालन

ग्रामीणों के अनुसार, करीब 200 साल पहले डोली गांव में हरिराम बैरागी नामक संत तपस्या किया करते थे। उन्होंने एक सूखी लकड़ी की डंडी गाड़ दी, जो आज खेजड़ी के विशाल वृक्ष के रूप में मौजूद है।

उसी समय, कवि मुरारी लाल चारण, जो जोधपुर के राजा के प्रिय कवि थे, उन्होंने बैरागी महाराज से गांव में करणी माता का मंदिर बनवाने की अनुमति मांगी। हालाँकि, संत ने इससे इनकार कर दिया, क्योंकि उन्होंने देवी की पूजा त्याग दी थी। लेकिन संत की अनुपस्थिति में कविराज ने मंदिर का निर्माण करा दिया और उसमें मूर्ति की स्थापना करवा दी।

बैरागी महाराज की भविष्यवाणी और उसका प्रभाव

जब बैरागी महाराज लौटे और देखा कि मंदिर बन चुका है, तो उन्हें गहरा आक्रोश हुआ। उन्होंने कविराज को फटकारते हुए कहा,

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आपके पीछे पानी देने वाला भी कोई नहीं रहेगा

उनकी इस भविष्यवाणी के बाद, कवि मुरारी लाल का वंश समाप्त हो गया और उनके परिवार का कोई उत्तराधिकारी नहीं बचा। इसके साथ ही, डोली गांव की हवेलियाँ सरकार के अधीन चली गईं।

जब बैरागी महाराज गांव छोड़कर जाने लगे, तो ग्रामीणों ने उनसे रुकने की प्रार्थना की। संत ने उनकी भक्ति देखकर कहा,

“मेरी समाधि के दिन पूरे गांव के चारों ओर दूध की धार बहानी होगी और मेरी समाधि से ऊपर किसी का मकान नहीं होगा।”

डोली गांव का एक दृश्य

दो मंजिला मकानों पर आई आफत

इस मान्यता के चलते गांव में केवल एक मंजिल के मकान बनाए जाते हैं। लेकिन कुछ लोगों ने इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की और दो मंजिला मकान बनाए। इसके बाद उनके परिवारों में अजीब घटनाएँ घटित होने लगीं—

किसी को अचानक अज्ञात आवाजें सुनाई देने लगीं। कुछ परिवारों में अकाल मृत्यु हो गई। कई घरों में परिवार के सदस्य गंभीर बीमारियों का शिकार हो गए।

अंततः उन्हें गांव छोड़ना पड़ा। इसके बाद से गांव में कोई दो मंजिला मकान बनाने की हिम्मत नहीं करता।

गांव से जुड़ी अन्य मान्यताएँ

1. ज्वेलर्स रात में नहीं रुकते – गांव में सुनारों को रात में रुकने की अनुमति नहीं है।

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2. कच्चे तेल निकालने वाली घाणी नहीं लगाई जाती – परंपरा के अनुसार यह कार्य गांव में निषिद्ध है।

3. कुछ जातियों को गांव में बसने की अनुमति नहीं – प्राचीन मान्यता के अनुसार कुछ समाजों को गांव में स्थायी रूप से बसने नहीं दिया जाता।

डोली गांव धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है। यहां आधुनिकता के बावजूद 200 साल पुरानी मान्यताओं का पालन किया जाता है। ग्रामीणों का विश्वास है कि यदि इस परंपरा का उल्लंघन किया गया, तो अशुभ घटनाएँ घटित हो सकती हैं। चाहे इसे अंधविश्वास कहें या आस्था, लेकिन यह गांव अपनी अनूठी परंपराओं के कारण आज भी चर्चा में बना रहता है।

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जिद है दुनिया जीतने की

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