विम्रता जयराम हरियाणी की रिपोर्ट
इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे भारतीय राजनीति में एक नया इतिहास रच गए। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की यह जीत केवल एक लहर नहीं थी, बल्कि सुनामी थी। इन अप्रत्याशित नतीजों ने BJP के दोनों सहयोगी दलों- शिंदे गुट और अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP को भी मजबूत कर दिया। दूसरी ओर, विपक्षी महाविकास आघाड़ी (MVA), जिसमें कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और शरद पवार की NCP शामिल थीं, पूरी तरह से धराशायी हो गई।
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS), प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी, और बच्चू कडू की तीसरी आघाड़ी शून्य पर सिमट गईं, जिससे उनका राजनीतिक अस्तित्व खतरे में है।
BJP की शानदार स्ट्राइक रेट
BJP की चमत्कारिक जीत को उसकी स्ट्राइक रेट से समझा जा सकता है। पार्टी ने 148 सीटों पर चुनाव लड़ा और 132 सीटों पर जीत हासिल की, जो 89% की अप्रत्याशित स्ट्राइक रेट को दर्शाता है। शिंदे गुट ने 81 सीटों पर लड़कर 57 सीटें जीतीं, जिससे उसका स्ट्राइक रेट 70% रहा। अजित पवार की NCP का प्रदर्शन और भी बेहतर रहा, उसने 55 में से 41 सीटों पर जीत दर्ज की, यानि लगभग 75% की स्ट्राइक रेट।
इसके विपरीत, कांग्रेस का स्ट्राइक रेट महज 16% रहा, जिसमें उसने 101 सीटों पर लड़कर केवल 16 पर जीत पाई। उद्धव गुट ने 95 सीटों पर लड़ाई लड़ी और 20 सीटें जीतीं, जिससे उसका स्ट्राइक रेट 21% रहा। शरद पवार की NCP का प्रदर्शन सबसे खराब रहा, जिसने 87 सीटों पर लड़ाई लड़ी और सिर्फ 10 सीटें जीतीं, यानि 12% की स्ट्राइक रेट।
शरद पवार का युग समाप्त
शरद पवार के नेतृत्व वाली NCP को इस चुनाव में सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा। यह हार न केवल एक पार्टी के लिए झटका है, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में एक युग का अंत भी प्रतीत होती है। शरद पवार का इस तरह हाशिए पर आ जाना एक ऐतिहासिक बदलाव है।
इस चुनाव का एक महत्वपूर्ण संदेश यह है कि जनता ने शिंदे गुट को असली शिवसेना और अजित पवार की NCP को सही NCP के रूप में मान्यता दी। शिंदे और अजित ने जिन विधायकों को अपने गुट में शामिल किया था, उनसे कहीं अधिक विधायकों को उन्होंने जितवाया। इससे उनकी स्थिति और मजबूत हो गई है।
कमजोर विपक्ष
महाविकास आघाड़ी के घटक दलों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इतनी बुरी हार के बाद विपक्ष को नेता प्रतिपक्ष का पद भी नहीं मिलेगा। महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए कम से कम 29 विधायकों की आवश्यकता होती है, जबकि कोई भी पार्टी इस संख्या तक नहीं पहुंच सकी।
जीत के कारण
महायुति (BJP, शिंदे गुट, अजित पवार गुट) की इस ऐतिहासिक जीत के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
1. लाड़ली बहना योजना: महिलाओं के लिए इस योजना ने BJP को व्यापक समर्थन दिलाया।
2. हिंदुत्व का ध्रुवीकरण: BJP ने हिंदू वोट बैंक को सफलतापूर्वक अपने पक्ष में किया।
3. संघ की भूमिका: इस बार संघ के स्वयंसेवकों ने पूरी ताकत से मैदान में उतरकर BJP का समर्थन किया।
4. OBC समर्थन: OBC समुदाय को अपने पक्ष में करने में संघ सफल रहा, जिससे मराठा आरक्षण का मुद्दा कमजोर पड़ गया।
महिलाओं का समर्थन
महिला मतदाताओं ने इस बार महायुति को अभूतपूर्व समर्थन दिया। “लाड़ली बहना योजना” ने न केवल ग्रामीण महिलाओं बल्कि मुस्लिम महिलाओं को भी आकर्षित किया। मुस्लिम महिलाओं का समर्थन महायुति के लिए एक नया वोट बैंक साबित हुआ।
मुस्लिम मतदाताओं की दूरी
मुस्लिम समुदाय का समर्थन इस बार विपक्षी दलों के लिए कमजोर रहा। पारंपरिक रूप से कांग्रेस और उसके सहयोगियों को मिलने वाला यह समर्थन इस बार बिखर गया।
विपक्ष की विफलताएं
विपक्षी महाविकास आघाड़ी में अंत तक आपसी मतभेद रहे। लाड़ली बहना योजना और धारावी विकास योजना का विरोध करने के बाद आघाड़ी ने जनता का भरोसा खो दिया। कांग्रेस, उद्धव गुट और शरद पवार की NCP, तीनों के बीच समन्वय की कमी साफ नजर आई।
नैरेटिव का बदलाव
इस चुनाव में महायुति ने “संघ शक्ति” और “नारी शक्ति” के बल पर अपना वर्चस्व स्थापित किया। विपक्ष के पुराने मुद्दे, जैसे “संविधान खतरे में है” या “गद्दार” कहकर विरोधियों को निशाना बनाना, जनता के बीच काम नहीं आए। इसके विपरीत, BJP का “बटेंगे तो कटेंगे” और “एक हैं तो सेफ हैं” जैसे नारे हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने में सफल रहे।
इस चुनाव के परिणाम महाराष्ट्र की राजनीति को एक नई दिशा देंगे। महायुति की यह जीत सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदलने में भी महत्वपूर्ण है।